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सन्देशरासक-शब्दकोष
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V पडिउंज प्रति+युज , पडिउंजि ९१ प्रेषय | परिगमिअय १५९ [परिगमित] परिसमाप्त पडिबिंबय १६४ प्रतिबिंब
°परिग्गह ७८ ग्रह पडिभिन्न १८४ [प्रति ] विद्ध परिघोलिर' ४६ [परि+V घोल+इर] पडिल्लिय १६२, पडिल्ली ८९ देशीत्वादधिकम्
परिघूर्णायमान पडिलिउ १०६ द्विगुणम् परितव-परि+तप्, परितवइ १३५ पडुत्तय १२४ पडुत्त = पडिउत्त [ Vउंज = V परिभम परि+भ्रम्, परिभमंति २१८, पडिउंज] प्रचलित, प्रस्थित
परिभमइ १०२ V पटुंज [प्रति+युज् ] प्रेषय् , पहुंजहि ११०, परिभमण ५४ भ्रमण
पडुजिवि २२३ परिवडिय १२१ पतित V पढ= पठ् (गु. पढवू) पढइ १८३, V परिवस = परि+वस , परिवसइ १३४
पढंत २२३, पढिजसु ७१, पढवि ८५, परिवाडि ७५ [परिपाटि] उचितमार्ग,
पढेविणु १५१, पढिव्वउ २०, पढिय ८३ । परिवाडि ण होइप्रतिपन्नं न भवति पंडिय २१, पंडियय ४२, पंडित
परिहर = परि+ह, परिहरवि १८८ (गु. पंड्यो, पंडो) परिहव ७६ °भव पंडित्त २० पंडित
V परिहिंस- परि+हिंस, परिहिंसिपंडित्त १९ पांडित्य
यहि १३७ पतंग १११
परुप्पर २०६ परस्पर
पल १०६ मांस पत्त १३४ पत्र, १८ नागवल्लीदल
पलट्टिहि ११७ द्र० पलुट पत्त १३० प्राप्त पत्थर १५४ प्रस्तर (गु. पत्थर, पथरो)
पलास २०९ [पलाश ] (१) पलाशवृक्ष
शन, राक्षस पंकिय ४८ [पंकित ] = पङ्काङ्कित
पलित्त २२२ प्रदीप्त, प्रलिप्त (?) पंखुडिय २७ प्रस्खलित। °पंगुरण १६७ प्रावरण (गु. पाँगरण)
पलिस्थिहि (पलस्थहि) ९७५
प्रलिप्त (1) पंच ७४ (गु. पाँच) पंचम ५३, पंचउ १८३ पंचमस्वर
/ पलुट =प्र+लुर, पलुटन्ति १९५ पंति १३४ पति (गु. पाँत, पाँति)
V पलुट्टप्रति+आ+वृत्, पलटिहि ११७, पंथिय ७१ पथिक (गु. पंथी)
पलुट्टि १३०, १९१ Vपभणप्र+भण्, पभणिज ८५,
पलोइय १६०, पलोइयय ९७ प्रलोकित पभणिय २२२
पल्लंघ १८८ (पलंघ, पल्लंग) पर्यङ्क, पल्यङ्क पमाण ७९ प्रमाण
(गु. पलंग) पमुक्किय १६४ प्रमुक्त
पल्लव १३४ पर ७६
पवण १९२ °न
पवन २४, पवनय १३९ [प्रपन्न ] प्राप्त पर ७९,८१, परि १८९ परं तु परएस १५९ °देश
पवर ५३ प्र परवसी २१७ परवशा
पवस=प्र+वस् , पवसिहि १९३, पवसंत °परावसी १५१ परवशा
७०, पवसिइ ४३, पवसिभ ७०, परिखंडण १४५ खण्डन
पवसियय ९४ °परिखिल्लरी २१९ [परि+खिल्ल+इर] /पवह प्र+वह् , पवहंत २५ (संचरन् ), परिखेलन्ती
पवहंतय १४१, पवहंति २४
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