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सन्देशरासक - शब्दकोष पवाल ६१ प्र
°पास २१५ 'श पवास ११४ प्र.
पासाहण १७९ प्रसाधना पवाह २४ प्र.
पिय ८८ [प्रिय ] प्रियतम (गु. पियु) पवित्थरण १९ [< प्र+वि+V स्तु]
पिक्ख = प्र+इश् (गु. पेखवू) पिक्ख १९९, प्रविस्तारक पविस-प्र+विश (गु. पेसई)
पिक्खइ ९६, पिक्खेविणु २६,३१, पिखिवि पविसंत ४६
२०३, पिक्खिवि ५४, पिक्खि ७८, पसंग ४१ प्र
पिक्खिय १७० V पसरप्र+स (गु. पसरवू) पसरि ५८,
पिक्खणय ५३ प्रेक्षण (गु. पेखण) पसरिय ११७
'पिजइ १९५ [V पीय = पिब् (गु. पीवू)] पसर ६६ प्र.
पीयते पसिज = [प्रसीद्य] प्र+सद् (सीद् )
द (सीद) पिम्म ११५ प्रेमन् पसिजि ३०
पिंग ५३ पसिद्धय ६५ प्रसिद्ध
पिंजरी २१० पसुप्पइ १८८ प्रसुप्यते
पीण ४५ °न पह २३ °थ
पीसियइ १८७ /पीस-पिष्य °पहय १०३ महत
(गु. पीसवु) पिण्यते पहंजण १३२ प्रभंजन
पुक्खर १४१ [ पुष्कर ] मेघ °पहर १५५ प्र०
पुक्खरि १४१ पुष्करी नदी पहराविय ७८ प्रहरित
| Vपुच्छ-पृच्छ (गु. पूछर्दू) पुच्छउ १२१ पहल्लिर १३३ [प्र+हल्ल = चलू+इर ] पुण ६७,
. (गु. हलवू, हालवू) पुणु ४४, पुणि १०१। पुनः (गु. पण) पहिय २६ पथिक
पुण पुण वि १०७ पुनः पुनरपि पहु २४ [प्रभु] पति
पुणन्नवय ११० पुनर्णव पहुत्त ११०, पहुत्तय १९२, पहुत्तिय २९ =
पुनरुत्त १०९ [पुनरुक्त] पुनः पुनः प्राप्त (गु. पहोंती)
पुंछिय ९८ [V पुंछ = मृज् ] पाइ १९१ पापिन्
___ प्रमार्जित (हिं. पोंछना, म. पूसणे) पाइय १५७ प्राकृत पाइय १५७ [प्र+आप्] प्राप्त (हिं. पाया)
| पुंज ११८ (गु. पूज, पूँजो) पाइय ८९ [पादिक ] पदचारिन्
पुन्निय १६९ पूर्ण पाउस १३९ प्रावृष् [हिं. पावस, मराठी
°पुप्फ २०२ रुप
पुरउ २० पुरतः पाउस]
पुव्व ११२ पूर्व पायय ४३,१८३ प्राकृत
पूरिय १९७ पूरित (गु. पूरी) पायार ४२ प्राका
पेसिय १९६ पेसियय ६५ प्रेषित पामर १९ पाली ७९ [पालिका] गोपालिका
Vपेस% [V पेह अथवा / पास (?)] दृश
__ पेसइ १४१, पेसिजइ १४०, पेसिय ९५ पाव १५४, पाउ २०६ पापम्
पोरिस' ७७ पौरुष (गु. पोरस) पाव%प्र+आप्, पावहि ९४ पावयण° २८(= पावणय = प्रापनक) प्रापन पावास ११८ प्र
फणिंद १४५ फणीन्द्र पावासुय १०२,१४२ प्रवासिन्
Vफंसस्पृश, फंसहि ९८ प्रमार्जय
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