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________________ सन्देशरासक-शब्दकोष चलिय २६ चलित चलण २५ चरण ज २० यद् 'चलत्थ १६९ (१) तुरंगवलस्थिहि -तुरंगम जु ७६ यद् शालासु जं २७, २२२ यावद् ल:चत्य,(गु. चालवू)चल्लाह ४५, जय जयउ २२३ चल्लियद ११३ जइ ४३, १९१ यदि चल्ल ४५ चलचल शब्द | जइवि १०० यद्यपि चवण ९४ [चर्षण] दशनखण्डन चाइ ४४ त्यागिन् जइय ९४ (जइमा) यदा; जइय कालिचाउदिस ६५ चातुर्दिश ___ यस्मिन् काले चावइ १३३ चातकी जग १३७ जगत् (गु. जम) .. चिकण ५३ स्निग्ध (गु. चीक]) जग्गंत १५८ जग्ग= जागृ (गु. जाग९) चित्त ९६ चित्र जजरिय ६७ जर्जरित (गु. जाजरूं), चित्त १६७ चित्रविचित्र जडिअ १५४ जटित, खचित-(गु. जडवू) चित्त १८५ मनस् (गु, चीत) Vजण = जनय, जणइ १३७ (गु. जणq). चित्तविचित्त १६७ चित्रविचित्र जण २१६ मनुष्य (गु. जण) चित्तहर १८५ १९, १७५ बहुवचना, समूहाथै चिंतिय २२३ चिंतित °जणण १३६ जनक चिर ११४ जणु ६१, १७० (१), २१६ (१) इव चिरग्गउ १८१ [चिरगत ] चिरप्रवसित । जत्थ ११२ यत्र धुबण ९४ चुंबन Vजंप=जल्प, जंपउँ ३०, जंपह १२१, जंपती ५०, जंपिरी १८२, अपिम्बर Vछड-मुच्, छडिवि ७५ ८२, जंपिय २२२, (जंपिज) °छण १९५ [क्षण] उत्सव | जम° १३२ यम छन्नउ १४३ छन्न (गु. छान) छम्मयल १६० [छनतल (2)] =पाताल | जम्म १३७ जन्मन् छय १३७ (१)क्षत | Vजलज्वल (गु. जळवू) जलइ ८९, °छल १७९ (गु. छळ) जलंतिय १३३, जलिय १८५ जल १६२ नीर, २४ अधु छाय ६४ छाया छायंती २९ छादती जाया (गु. जादु, जई) जाउ ९१, जाइ ८१, जंत १०९, जति १४०, छायउ ६४ छादित (गु. छायु) जाइमइ ११३, जाहि १०, 'छार १२० [क्षार] रक्षा (गु. राख; छार) जाइसि ११, जाइ ११४, जाइब्वऊ "छावड ७८ (१) शरीर छित्त°४७ क्षिप्त जाईहल १४४ जातिफल छिद्द २१२ छिन्द्र {जागतिय १४७ /जागरजग्ग-जागृ छिहंत २५ स्पृशन् , क्रामन् (गु. जागती) Vछुड छुद [छुद्द], छुडवि २६ जाण-ज्ञा, (गु. जाणवू) जाणियह ६५ छुद्ध १७९ छूट % क्षित, .. जाणिवि १९, जाणि १८१,जानिय छेअर १८ [छेकतर?] छेक = निपुण कथयेः Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002918
Book TitleSandesha Rasaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1945
Total Pages282
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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