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________________ २४ अथ वनस्पतिनामानि - सन्देश रासक ढल्ल कुंद 'सयवत्तिय कत्थ व रत्तबल, कह व' ठाइ वर मालइ मालिय तह विमल । जूही खट्टण वालू चंबा बउल घण, केवर तह 'कंदुट्टय अणुरता सयण ॥ ५५ ॥ माउलिंग मालूर मोय मायंद मुर, दक्ख भंभ' ईखोड' पीण' आरू सियर' । तरुणताल तंमाल" तरुण तुंबर "खयर, 13 संजिय" सइवत्तिय " सिरीस " सीसम " अयर " ॥ ५६ ॥ पिप्पल" पाडल पुय पलास घणसारवण, मणहर "तुज हिरन्न भुज्ज" धय" वंसवण | नालिएर " निंबोय निविंजिय" निंब वड, ढक्क" चूय अंबिलिय" कणयचंदण निवड ॥ ५७ ॥ आमरूय" गुल्लुर महूय आमलि" अभय, नायवेलि मंजिट्ठ पसरि" दह दिसह " गय ॥ ५८ ॥ {+मंदार जाइ तह सिंदुवार । महमहइ सु वालउ अतिहि फार || रासाछन्दः | } 5 C कुंदुट्टय; B कंदुडुइ । 9A सिहर । 10 B | 14 A C सरीस | 1 A स° | 2 C वि । 3B जूहियखण। 4 C वउबा | 6 A भभा; B भंभा । 7 C आखोड । 8 B खीण; C पीड । तमाल । 11 B तुंबरु खयरु | 12 A संजीअ । 13 A बत्ती 15 A सीसव। 16 A अपर । 17 A पिप्पड । 18 A तुबू | 19 A भुज। 20 C धर । 21 B C नालएर । 22 C निवंजिय । 23A कक्क; B 25 C आममूर । 26 A आवलीअ । 27 B पसर । केवलं B आदर्शे प्राप्यते, नोपलभ्यते A C आदर्शयुग्मे । डक्क । 24A अंबिली । 28 A दिसिहि । + एतत्पादयुग्मं Jain Education International [ टिप्पनकरूपा व्याख्या ] [ ५५-५८] नामान्येव ॥ ५५-५८ ॥ [ द्वितीय प्रक्रम For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002918
Book TitleSandesha Rasaka
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAbdul Rahman, Jinvijay, H C Bhayani
PublisherBharatiya Vidya Bhavan
Publication Year1945
Total Pages282
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size17 MB
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