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भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे
नम्रत्वेनोन्नमन्तः परगुणकथनैः खान् गुणान् ख्यापयन्तः स्वार्थान् संपादयन्तो विततपृथुतरारम्भयत्नाः परार्थे । क्षान्त्यैवाक्षेपरूक्षाक्षर मुखरमुखान् दुर्मुखान् दूषयन्तः
सन्तः साश्चर्यचर्या जगति बहुमताः कस्य नाभ्यर्चनीयाः॥३६॥ लोभशु चेदगुणेन किं पिशुनता यद्यस्ति किं पातकैः
सत्यं चेत् तपसा च किं शुचि मनो यद्यस्ति तीर्थेन किम् । सौजन्यं यदि किं जनैः स्वमहिमा यद्यस्ति किं मण्डनैः
सद्विद्या यदि किं धनैरपयशो यद्यस्ति किं मृत्युना ॥ ३७ ॥
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36 Om. in NS2. 4) B_F1. 2. 4 (t.v. as in text ) JM 8 नुतिभिः (for कथनैः ). F3 W3t व्यापर्यंतः; W2. 30 + स्थाप; YC वाच (for ख्याप ). स्वागुणानू. ') B कुर्वतः स्वीयमर्थ ; F1. 2. 4 (t. v. as in text ) G1M पु ( F2 मुष्णंतः स्वीयमर्थ ; H It स्वार्थ संपादयंतो BY 1. 3 G1 M सतत-; F2 विवृत- ; Y3 वितथ- ; G+ विविध (for वितत - ). Aa
X Y1 - बहुतरा ; BY: G1 M1-8 कृतमहा; Est Fst.v. - पृथुफला ; W2. 4 - प्रियतरा ; Gat -परधना ; M4.5 -कृतसमा (for - पृथुतरा ). F -रंभयत्रैः; It -रंभयित्वा (for -रम्भयत्नाः ). Fs J1 परार्थैः; I परार्थान्. °) A2 क्षांतौवाक्षेप - ; B C D Est H क्षांत्यैवोपेक्ष्य ( Es क्ष ); Eot.it क्षांत्यैवापेक्ष्य-; F1 W3. क्षांत्यैवक्षेप- (Fam.v. 'वानेक); J1क्षांत्येवाक्षेप- (for क्षान्त्यैवाक्षेप-). W1. 3. 4 - रुक्षाक्षर-; Ji - रूपाक्षर - (for रूक्षाक्षर ). Wom.; M3-5- परुष- (for - मुखर - ). DF 3 Y (except Yic.3) TGM दुर्जनान् (for दुर्मुखान् ). A0-2 दूषयंत: कियंतः; W2-4 दूषयंतः समंतात् (for दुर्मुखान्दूषयन्तः ). B धर्षयतः ; CD Ft. v. 1 J23 Y2. 4. 57.8TGM1-2 दुःखयंतः; J2 दुर्जयंतः, Y0 दूरयंतः; M+5 पीडयतः (for दूषयन्तः ). - *) _ E3F2.3 G2 चाश्चर्य -; H1c स्वाश्चर्य-; W2t. 3t. t [S]प्याश्वर्य ; G+ त्वाश्चर्य (for साश्चर्य ). B2 Eo. st Wae X2 - वर्याः; Fim.v. -भूताः (for -चर्या: ). ( E com generally चर्यं ( Eoc. 30 वर्यं ) - सौंदर्य). X बहुमतो. C It J1.3 Y1 T3 G1 M2. 3 नाभ्यर्थनीयाः B त्रिभुवनभवने वंदनीया जयंति ; M1. 5 सदसि बहुमताः के (Ms क )स्य न स्युर्नमस्या: ( for जगति बहु etc.).
BIS. 3379 (1434) Bhartr. ed. Bobl. 2.59. Haeb. 41. lith ed. I, 68, II, 70. Galan 71. Prasangābh. 11. Subhash. 308; SRB. p. 53. 277; SBH. 286 ; SRK. p. 18. 75 (Sp.); SSD. 2. f. 92b; SSV. 430.
-
37 A3 order bacd; F's bead.
Ja पिसुनता. F's पावकैः (for पातकैः ). * ) E1 तपसापि I Y: तीर्थेश्व. X1. 2 (by corr.) Xic.v. 4. 5 T8 G2c. 3 निजै: ; C हितैः; DF 1 24 Y1.6.8M1. 5 गुणैः; X1 बलैः; Gat चनै (sic); M3 धनैः (for जनैः ). A3 तु; C Est F's HJ2 W ( W3om. ) Y8.6.88 G1 M1–3 सु-; I श्व- ( for स्व ). Y2 सौजन्यं स्वजनेन किं सुमहिमा ; T12 सौजन्यं यदि किं बले (T2 जने) न महिमा ( before caesura ). - 4) Ham.v. धनैपरयशो. X यद्यस्तु (for 'स्ति).
9 ) Ao - 2 स्नेहगुणेन; Gi चेत्सुगुणेन (for वेदगुणेन ). C लोभश्चेति गुणेन किं सुखशतैर्यद्यस्त्यनायत्तता. c) Omitted in W3. As BE (Esc) Fs H I J
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BIS. 5881 (2686) Bhartṛ. ed. Bohl. 2. 45. Haeb. 42. lith. ed. I 54, II. 55. Galan 57. Sadratna 6 ( Haeb. p. 5 ). Kāvyakal 6. Kāvyas. 3. Nitisahk. 26. Prasañgābh. 10. Subhash. 221; Sp. 1553; SRE. p. 178. 1015 ( Amaruka); SRK. p. 240. 93 (Bh.); Canakyanitidarpana 17. 4 ; SA. 27. 44; SHV. app. I. f. 9a. 38; SS. 35. 6; PT. 9. 158; SSD. 2. f. 156b; SSV. f. 85b. 84 (bacd); JS. 644.
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