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नीतिश्लोकाः। खातौ सागरशुक्तिसंपुटगतं तज् जायते मौक्तिकं
प्रायेणाधममध्यमोत्तमगुणाः संवासतो जायते ॥ ३३ ॥ कुसुमस्तबकस्येव द्वयी वृत्तिर्मनस्विनः । , मूर्ध्नि वा सर्वलोकस्य शीर्यते वन एव वा ॥ ३४ ॥ मौनान् मूकः प्रवचनपटुर्वातलो जल्पको वा
धृष्टः पार्श्वे भवति च तथा दूरतोऽप्यप्रगल्भः । क्षान्त्या भीर्यदि न सहते प्रायशो नाभिजातः
सेवाधर्मः परमगहनो योगिनामप्यगम्यः॥ ३५॥
BIS. 6781 (3152) Bhartr.ed. Bohl. 2. 57. Haeb.37. lith. ed. I. 66, II. 67. Galan 69. Painc. ed. Koseg. I. 280. ed. Bomb. 250. Subhash. 105; Sp. 330 (Visnusarman); SRB. p. 87. 33; SA. 24. 173; Padyaracana (K.M. 89, p, 111. 38, Bh.); SS. 29.23; SK. 2. 187; SU. 14643; SSD. 2. f. 125b; ssv. 654 ; SMV.9.513 JSV. 177.6%3 SKG. f. 13a. _____34_F's substitutes मालतीकुसुमस्येव. -- ") Ba X Gs M4 [ए]व (for [इ]व). --- ") C Tic.v. M२ गती हिJYS T2 Ms-5 द्वेगतीत: W2Y2 द्वे गतीच: Xद्वेगती स(or तु); Y1 द्वे गती स्तो; T3 द्वेधा वृत्तिर्; G1 द्वे हि वृत्तिर: M2 द्वे हि वृत्ती (for द्वयी वृत्तिर). XIY1 मनस्विनां (for 'स्विनः). -") W2.3 मूर्धनि (for मूर्ध्नि वा). Est F3 -लोकानां (for -लोकस्य). -") Fot H2 शीयते; Est स्थीयते; G2. 3. 5 जीर्यते (for शीर्यते). J2 F4 Wi (by corr.). 3 विशीर्यत वनेथ वा; Wi(orig.). 2. 4 (orig.) विशीयेत वने यथा.
__BIS. 1845 (708) Bharty. ed. Bohl. 2. 25. Haeb. 39. lith. ed. I. 33, 102, II und Galan 33. Hit. ed. Schl. I. 126. ed. Johns 141. Subhash. 308; Sp. 264 (Bh.); SRB. p. 79. 4 (Bh.); SBH. 201 ( Ravigupta), and 509; SK.M. 7. 2 ( Bh.); SRE. 102.23 SRK. p. 46.9 (Sp.); SA. 24. 46; ST. 43. 22 (Bh.); Garudamahapurana 110. 133; SHV.f.7la (Bh.), 871; SM. 1572; SSV. 1544; JSV.168.23 SKG. f. 17a.
35 Order in A C, is acbd. Ws reads st. 35 twice. -") J3 मंदान्मुकः. A3 Hic It वातकी; Bi Fi. 2.5 W वातुलो; D वातुकी; E2 F4 जल्पको; F3 Y8. 8. 8 T G1.4 M वाचको; Hit.ac वातको;J1.2 पित्तको;X Y1 चाटलो Y2. 4. 5.2 वादको G2. 3. 5वातिको (for वातलो). E2 वातलो; Fवातुलो (for जल्पको).-") Him.v. J3 Y. T3 M2 दृष्टः; J1 दुष्टः,
W+ घृष्टः; Y+.5G2. 3 कृष्णुः (for धृष्टः). BY1.1.8 Gi M1-वसति च; C भवति न; W1-3 प्रभवति (for भवति च). G4 निवसन (for च तथा). W1-J3 तदा: Y1 सदा: Y2.4-6.8 T G2. 3.6 M4.5 वसन् (for तथा). B C D E F H W Y: दूरतश्चाप्रगल्भः ; Eo-2.5 दूरतश्च प्रमादी; IX (X2 Incuna) दूरतश्चाप्रमादी; M. दूरतस्य प्रगल्भः; Ms दूरगोप्यप्रगल्भः. (E com. प्रगल्भः कथ्यते वा प्रमादी कथ्यते). -J1 lacuna for 3500. -°) Ao.1 Eo.1.3 प्रायसो. E नातिजातः; T3 नाभिजाने (for °जातः).
BIS. 4987 (2257) Bhartr.ed. Bohl. 2. 48. Haeb. 40. lith. ed. I. 57, II. 58. Galan 61. Hit. ed. Schl. II. 26. cd. Johns. 25. Vet. in LA (III) 29. Subhāsh. 308. Pafic. I. 285%3 SRB. p. 97. 15; SDK. 5.42.1 (p. 305); SRK. p. 109. 11 (Bh.); SL. f. 55b; SM. 16633; SN. 871; SSD. 2. f. 146a; SSV. 1622%3D SMV. 20.53 JS. 513.
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