________________
४४९] त्रयस्त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
S
तेतीसइम अज्झयणं : कम्मपयडी त्रयस्त्रिंश अध्ययन : कर्म-प्रकृति
अट्ठ कम्माई वोच्छामि, आणुपुव्विं जहक्कम ।
जेहिं बद्धो अयं जीवो, संसारे परिवत्तए ॥१॥ मैं आनुपूर्वी और यथाक्रम से आठ कर्मों का प्रतिपादन करता हूँ, जिन (कर्मों) से बंधा हुआ यह जीव (चतुर्गतिरूप) संसार में पर्यटन करता है ॥१॥
I demonstrate in due order the types of karmas, bound by which this soul transmigrates in this world of four existences. (1) कों की मूल प्रकृतियाँ
नाणस्सावरणिज्ज, सणावरणं तहा । वेयणिज्जं तहा मोहं, आउकम्मं तहेव य ॥२॥ नामकम्मं च गोयं च, अन्तरायं तहेव य ।
एवमेयाइ कम्माइं, अडेव उ समासओ ॥३॥ ज्ञान को आवरण करने वाला ज्ञानावरणीय तथा दर्शनावरणीय और वेदनीय कर्म तथा मोहनीय कर्म, इसी प्रकार आयुकर्म-॥२॥
नाम कर्म, गोत्रकर्म तथा अन्तराय कर्म-इस प्रकार ये कर्म संक्षेप में आठ ही हैं ॥३॥ Main divisions (mūla prakṣtis) of karma
(1) Knowledge obstructing (2) Perception obstructing (3) Emotion evoking (4) Illusory (5) Age determining-(2)
(6) Formation of body determining (7) Status determining and (8) Power hindering.
Briefly these are eight karmas (main divisions of karmas). (3) आठ कर्मों की उत्तर प्रकृतियाँ
नाणावरणं पंचविहं, सुयं आभिणिबोहियं ।
ओहिनाणं तइयं, मणनाणं च केवलं ॥४॥ __ ज्ञानावरणीय कर्म पाँच प्रकार का है-(१) श्रुत ज्ञानावरणीय (२) आभिनिबोधिक ज्ञानावरणीय (मतिज्ञानावरणीय) (३) अवधिज्ञानावरणीय (४) मनोज्ञानावरणीय (मनःपर्यव ज्ञानावरणीय और (५) केवलज्ञानावरणीय ॥४॥ Sub-divisions (uttara prakrtis) of karmas
Knowledge obstructing karma is of five kinds-(1) obstructer of śruta knowledge (2) obstructer of abhinibodhika (mati) knowledge (3) obstructer of clairvoyance knowledge (4) obstructer of direct knowledge of others' mind (5) obstructer of omniscience. (4)
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org