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________________ अवधि सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र सात वेदनीय दर्शनावरण Jain Education international - अचक्षुदर्शनावरण कषायमोहनीय कषायमोहनीय 'असात वेदनीय चक्षुदर्शनावरण = चारित्र मोहनीय: - दर्शनावरण - वेदनीय मनः पर्यव ज्ञानावरण - अवधि ज्ञानावरण: 'ज्ञानावरण राग कर्मों की मूल प्रकृतियाँ राणावरण आदि आठ है 'मोहनीय सम्यक्त्व - मोहनीय: मिथ्यात्व मोहनीय कर्मवृक्ष स. मि. मोहनीय कषाय नैरयिक आयु मोहनी की - ज. अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 70 कोटा-कोटि सागरोपम आयुकर्म की ज. अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 33 सागरोपम नाम और गोत्र कर्म की ज. 8 मुहूर्त, उत्कृष्ट 20 कोटा-कोटि सागरोपम। 'अन्तराय' - आयुष्य For Private & Personal Use Only त्रयस्त्रिश अध्ययन ४ मनुष्य आयु 'देव आम' -नाम - गोत्र: ·lelle rela ८ उच्चगोत्र: दामान्तराय 'अशुभ नाम' द्वेष आत्मा का राग-द्वेष मूलक कषाय रजित परिणाम कर्म वृक्ष का मूल है। -नीच गोत्र लाभान्तराय उत्तर प्रकृतियाँ ( क्रमशः 148 अथवा 158 मानी गई हैं) ज्ञानावरण की 5, दर्शनावरण की 9, वेदनीय की 2, मोहनीय की 28, आयुष्य की 4, नामकर्म की (मूल 2) (अवान्तर 93 अथवा 103 ), गोत्रकर्म की 2, और अन्तराय कर्म की 51 इस प्रकार कुल 148 हैं। कर्मों की स्थिति - ज्ञानावरण, दर्शनावरण, वेदनीय और अन्तराय कर्म की जघन्य अन्तर्मुहूर्त, उत्कृष्ट 30 कोटा-कोटि सागरोपम। 'भोगान्तराय' www.jainelibrary.org
SR No.002912
Book TitleAgam 30 Mool 03 Uttaradhyayana Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAtmagyan Pith
Publication Year
Total Pages652
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_uttaradhyayan
File Size21 MB
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