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३९३] त्रिंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(१) श्रेणि तप (२) प्रतर तप (३) घन तप (४) वर्ग तप (५) वर्ग वर्गतप और (६) प्रकीर्ण तप ॥ १० ॥
In short, short time fast penance is of six kinds - ( 1 ) in the form of series or chain ( 2 ) rejoined the various types of chain fast penance (pratara tapa ). ( 3 ) in the form of cube (4) square (5) square-square and (6) of any arrangement. (10)
तत्तो य वग्गवग्गो उ, पंचमो छट्ठओ पइण्णतवो । इच्छिय-चित्तत्थो, नायव्वो होइ इत्तरिओ ॥११॥
इस प्रकार मनवांछित विचित्र (स्वर्ग- अपवर्ग आदि अनेक ) प्रकार के फल देने वाला इत्वरिक ( अनशन ) तप होता है, यह जानना चाहिए ॥११॥
Thus wish-fulfilling and bestower of various good results like-heaven and liberation, is short time fast penance, it should be known. ( 11 )
जा सा अणसणा मरणे, दुविहा सा वियाहिया सवियार - अवियारा, कायचिट्ठ पई भवे ॥१२॥
जो मृत्यु समय में अनशन होता है, वह कायचेष्टा के आधार पर दो प्रकार का कहा गया है - ( १ ) सविचार (करवट बदलने आदि काय चेष्टाओं सहित ) और (२) अविचार (कायचेष्टा रहित ) ॥ १२ ॥
Till death fast penance is of two kinds with respect of body-motions-(1) with change of positions of body (savicāra) and without change (avicāra). (12)
अहवा सपरिकम्मा, अपरिकम्मा य आहिया । नीहारिमणीहारी, आहारच्छेओ य दोसु वि ॥१३॥
अथवा मरणकाल अनशन के (१) सपरिकर्म और ( २ ) अपरिकर्म-ये दो भेद हैं।
अविचार अनशन के (१) निर्हारी और (२) अनिर्हारी ये दो भेद भी होते हैं। लेकिन इन दोनों में ही आहार का त्याग होता है ॥१३॥
And again till-death fast penance is twofold-(1) admitting relief by taking service etc., from others (saparikarma) and ( 2 ) without relief (aparikarma). Without body-motion fast penance is also of two kinds - ( 1 ) may change the place (nirhāri) and ( 2 ) may not change the place (anirhāri). But in both the cases food can not be taken. (13)
ओमोयरियं पंचहा, समासेण वियाहियं । दव्वओ खेत्त - कालेणं, भावेणं पज्जवेहि य ॥१४॥
अवमौदर्य (ऊनोदरी) संक्षेप में पाँच प्रकार का बताया गया है। (यह) (१) द्रव्य (२) क्षेत्र (३) काल (४) भाव (५) पर्यायों की अपेक्षा से पाँच प्रकार का है ॥१४॥
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Abstinence or eating less than full meal penance is fivefold with regard to-(1) substance (2) place (3) time (4) state of mind and (5) developments. (14)
जो जस्स उ आहारो, तत्तो ओमं तु जो करे । जहन्नेणेगसित्थाई, एवं दव्वेण ऊ भवे ॥१५॥
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