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न सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रिंश अध्ययन [३९१
एवं तु संजयस्सावि, पावकम्मनिरासवे ।
भवकोडीसंचियं कम्म, तवसा निजरिज्जई ॥६॥ जिस प्रकार कोई महा सरोवर के जल आने के मार्गों को रोक देने और पूर्व संचित जल को उलीचने तथा सूर्य ताप के कारण से सूख जाता है- ॥५॥
उसी प्रकार संयत के भी पापकर्मों को निराम्रव (नये कर्मों का आगमन द्वार बन्द) कर देने से करोड़ों जन्मों के संचित कर्म तप से निर्जरित (नष्ट) हो जाते हैं ॥६॥
As any great pond dries up by checking ways of supplying, and throwing off water and by the rays of sun-(5)
In the same way stopping the in-flow of karmas, the accumulated karmas of krores of lives are destroyed by penance of restrained mendicant. (6)
सो तवो दुविहो वुत्तो, बाहिरब्भन्तरो तहा ।
बाहिरो छव्विहो वुत्तो, एवमब्भन्तरो तवो ॥७॥ वह तप दो प्रकार का कहा गया है-(१) बाह्य और (२) आभ्यन्तर। बाह्य तप छह प्रकार का कहा गया है। इसी प्रकार आभ्यन्तर तप भी छह प्रकार का ही है ॥७॥
That penance is of two kinds-(1) external and (2) internal. External penance is of six types and the internal penance is also of six types. (7)
अणसणमूणोयरिया, भिक्खायरिया य रसपरिच्चाओ ।
कायकिलेसो संलीणया य, बज्झो तवो होइ ॥८॥ (१) अनशन (२) ऊनोदरी (३) भिक्षाचर्या (४) रस परित्याग (५) कायक्लेश और (६) संलीनता-ये छह बाह्य तप हैं ॥८॥
(1) Fast (2) Abstinence or Eating less than full diet (3) seeking alms (4) renunciation of tastes (5) mortification of body and (6) bed and lodging at unfrequented place-these are six external penances. (8)
इत्तरिया मरणकाले, दुविहा अणसणा भवे ।
इत्तरिया सावकंखा, निरवकंखा बिइज्जिया ॥९॥ (१) इत्वरिक और (२) मरण काल-ये अनशन तप के दो प्रकार हैं। इत्वरिक तप सावकांक्ष (अनशन के निर्धारित समय के बाद भोजन की आकांक्षा सहित) होता है और मरणकाल अनशन निरवकांक्ष (भोजन की आकांक्षा (इच्छा) से सर्वथा रहित) होता है ॥९॥
Fast penance is of two types-(1) for a short period and (2) till death. Short-period fast penance is with desire of food and till death fast penance is desire-free. (9)
जो सो इत्तरियतवो, सो समासेण छव्विहो ।
सेढितवो पयरतवो, घणो य तह होइ वग्गो य ॥१०॥ संक्षेप से इत्वरिक तप छह प्रकार का है
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