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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(A). By freedom of attachment, the soul breaks up the ties of love (affection) and desires and becomes indifferent towards pleasant words, touches, tastes, forms (shapes) and smell. सूत्र ४७ - खन्तीए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
खन्तीए णं परीस जिणइ ।
एकोनत्रिंश अध्ययन [ ३७६
सूत्र ४७ - ( प्रश्न) भगवन् ! क्षान्ति (क्षमा) से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) क्षान्ति (क्षमा- तितिक्षा) से जीव परीषहों को जीतता है।
Maxim 47. (Q). Bhagawan ! What does the soul get by forgiveness ?
(A). By forgiveness, the soul conquers troubles.
सूत्र ४८ - मुत्तीए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
मुत्तीणं अकिंचनं जणयइ । अकिंचणे य जीवे अत्थलोलाणं अपत्थणिज्जो भवइ ॥
सूत्र ४८ - ( प्रश्न) भगवन् ! मुक्ति से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) मुक्ति (निर्लोभता) से जीव अकिंचनता (निष्परिग्रहता) को प्राप्त करता है। अकिंचन जीव अर्थलोलुपी व्यक्तियों के द्वारा अप्रार्थनीय हो जाता है।
Maxim 48. (Q). Bhagawan ! What does the soul attain by ungreediness ?
(A). By ungreediness, the soul attains non-possessionness. Non-possessioned person becomes unfit to be requested by the persons who are desirous of wealth.
सूत्र ४९ - अज्जवयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
अज्जवयाए णं काउज्जुययं भावुज्जुययं, भासुज्जुययं अविसंवायणं जणयइ । अविसंवायण-संपन्नयाए णं जीवे धम्मस्स आराहए भवइ ॥
सूत्र ४९ - ( प्रश्न) भगवन् ! ऋजुता से जीव को क्या प्राप्त होता है ?
(उत्तर) ऋजुता ( सरलता) से जीव काय की सरलता, भाव ( मन ) की सरलता, भाषा की सरलता और अविसंवाद (अवंचकता) को प्राप्त होता है। अविसंवाद-सम्पन्न जीव धर्म का आराधक होता है।
Maxim 49. (Q). Bhagawan ! What does the soul obtain by simplicity ?
(A). By simplicity, the soul attains the uprightness of mind, speech and body and becomes veracious. Thereby he becomes the propiliator of religion-religious order.
सूत्र ५० - मद्दवयाए णं भन्ते ! जीवे किं जणयइ ?
मद्दवयाए णं अणुस्सियत्तं जणयइ । अणुस्सियत्ते णं जीवे मिउमद्दवसंपन्ने अट्ठ मयट्ठाणाई निट्ठवेइ |
सूत्र ५० - ( प्रश्न ) भगवन् ! मृदुता से जीव क्या प्राप्त करता है?
(उत्तर) मृदुता से जीव अनुद्धत भाव (निरभिमानता) को प्राप्त करता है। अनुद्धत जीव मृदु-मार्दवभाव से संपन्न होता है तथा आठ मदस्थानों को विनष्ट कर देता है।
Maxim 50. (Q ). Bhagawan ! What does the soul attain by modesty - humility ?
(A). By modesty, the soul obtains freedom from proud. Unproudy soul becomes opulent with humility and he casts off asunder eight kinds of prides.
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