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ना सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षड्विंश अध्ययन [३३२
वे छह कारण हैं-(१) क्षुधावेदना की शांति के लिए (२) वैयावृत्य के लिए (३) ईर्या समिति के पालन के लिए, (४) संयम पालन के लिए, (५) प्राणों की रक्षा के लिए और (६) धर्मचिन्तन के लिए ॥३३॥
These six causes are-(1) To pacify agony of hunger (2) To serve the teachers (3) for practising properly the movement-circumspection (4) for observing self control (5) to save his own life and (6) for deep thinking of religion. (33)
निग्गन्थो धिइमन्तो, निग्गन्थी वि न करेज्ज छहिं चेव ।
ठाणेहिं उ इमेहिं, अणइक्कमणा य से होइ ॥३४॥ धृतिमान निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थिनी इन (आगे कहे जाने वाले) छह कारणों से (आहार पानी की गवेषणा) न करे तो ही (संयम का) अतिक्रमण नहीं होता ॥३४॥
Steady monk and nun if does not seek for food and water due to the six causes (said in couplet 35), then it will not be the transgression of restrain. (34)
आयके उवसग्गे, तितिक्खया बम्भचेरगुत्तीसु ।
पाणिदया तवहेउं, सरीर-वोच्छेयणट्ठाए ॥३५॥ (१) आतंक रोग उत्पन्न होने पर (२) उपसर्ग आने पर (३) ब्रह्मचर्य गुप्ति की रक्षा के लिए (४) प्राणियों की दया के लिए (५) तप के लिए और (६) शरीर-व्युच्छेद के लिए। (इन कारणों के समुपस्थित होने पर साधु-साध्वीवर्ग भक्त-पान की गवेषणा न करे।) ॥३५॥
(1) Illness (2) disaster (3) to preserve chastity (4) compassion for living beings (5) for penance and (6) to discard this mortal frame. (35)
अवसेसं भण्डगं गिज्झा, चक्खुसा पडिलेहए ।
परमद्धजोयणाओ, विहारं विहरए मुणी ॥३६॥ सभी उपकरणों का आँखों से प्रतिलेखन करे और यदि आवश्यक हो तो उन्हें लेकर मुनि अधिक से अधिक आधे योजन (दो कोस-तीन माइल-पाँच किलोमीटर) की दूरी तक भिक्षा हेतु जाए ॥३६॥
Inspect his whole outfits by his own eyes and go for seeking food and water upto half yojana (five killometers) with whole his outfits, if necessary. (36)
चउत्थीए पोरिसीए, निक्खिवित्ताण भायणं ।
सज्झायं तओ कुज्जा, सव्वभावविभावणं ॥३७॥ चतुर्थ पौरुषी __ दिन के चतुर्थ पहर में भली-भाँति प्रतिलेखना कर सभी पात्रों को बाँधकर रख दे। तदुपरान्त सभी भावों-तत्त्वों का प्रकाशक स्वाध्याय करे ॥३७॥
In the fourth prahara of day bind up and keep aside whole the outfits duly inspected and then settle to study which throws light on all the things. (37)
पोरिसीए चउब्भाए, वन्दित्ताण तओ गुरुं ।
पडिक्कमित्ता कालस्स, सेज्जं तु पडिलेहए ॥३८॥ Jain Education International
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