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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयोविंश अध्ययन [ २९८
अन्धयारे तमे घोरे, चिट्ठन्ति पाणिणो बहू । को करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोगंमि पाणिणं ? ॥७५ ॥
भयंकर, घने अन्धकार में बहुत से प्राणी अवस्थित हैं, रह रहे हैं। सम्पूर्ण लोक के प्राणियों के लिए कौन उद्योत - प्रकाश करेगा ? ॥ ७५ ॥
Many beings are living in dense darkness. Who will bring light to the beings of whole world. (75)
उग्गओ विमलो भाणू, सव्वलोगप्पभंकरो । सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोगंमि पाणिणं ॥ ७६ ॥
(गौतम) सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करने वाला निर्मल सूर्य उदित हो चुका है। वह लोक के सभी प्राणियों के लिए प्रकाश करेगा ॥ ७६ ॥
(Gautamna) The spotless sun has risen, he will illuminate the whole world of beings. (76)
भाणू य इइ के वुत्ते ? केसी गोयममब्बवी | सिमेवं बुवंतं तु, गोयमो इणमब्बवी ॥७७॥
( केशी) वह सूर्य कौन - सा कहा जाता है ? केशी ने गौतम से कहा । केशी के पूछने पर गौतम ने
कहा- ॥७७॥
(Keśi) Which is that sun ? asked Kesi, Gautama answered. (77)
उग्गओ खीणसंसारो, सव्वन्नू जिणभक्खरो । सो करिस्सइ उज्जोयं, सव्वलोयंमि पाणिणं ॥ ७८ ॥
(गौतम) जिसका संसार क्षीण हो चुका है, जो सर्वज्ञ है, ऐसा जिन भास्कर उदित हो चुका है। वह सम्पूर्ण लोक में प्राणियों के लिए प्रकाश करेगा ॥७८॥
(Gautama) Whose circle of births and deaths came to end, who is omniscient, such Jina-sun has arisen. He will bring light to all the beings of world. (78)
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साहु गोयम ! पन्ना ते, छिन्नो मे संसओ इमो ।
अन्नो वि संसओ मज्झं, तं मे कहसु गोयमा ! ॥७९॥
( केशी) गौतम ! तुम्हारी प्रज्ञा श्रेष्ठ है। तुमने मेरा यह संशय भी दूर कर दिया। मेरा एक संशय और है। उसके सम्बन्ध में भी मुझे कहो - बतलाओ ॥७९॥
(Keśi) Gautama ! Your intelligence is best, you have removed my this suspicious. I have another doubt also, please remove also that. (79)
सारीर - माणसे दुक्खे, बज्झमाणाण पाणिणं । खेमं सिवमणाबाहं, ठाणं किं मन्नसी मुणी ? ॥ ८० ॥
हे मुने ! शारीरिक और मानसिक दुःखों से पीड़ित प्राणियों के लिए क्षेमंकर, शिवकर और बाधा रहित स्थान तुम किसे मानते हो ? ॥८०॥
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