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२८५] त्रयोविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
At the same time was Bhagawāna Mahavira, adored by all, famous and prophet of religion. (5)
तस्स लोगपईवस्स, आसि सीसे महायसे ।
भगवं गोयमे नामं, विज्जा - चरणपारगे ॥६॥ उन लोक-प्रदीप वर्द्धमान के शिष्य भगवान गौतम ज्ञान चारित्र के पारगामी और महायशस्वी थे ॥६॥
The chief disciple of that light of the world Vardhamāna, was revered Gautama, who was famous and also well-versed in right knowledge and conduct. (6)
बारसंगविऊ बुद्धे, सीस-संघ-समाउले ।
गामाणुगाम रीयन्ते, से वि सावत्थिमागए ॥७॥ वारह अंगों के ज्ञाता प्रबुद्ध गौतम भी अपने शिष्य संघ सहित ग्रामानुग्राम विहार करते हुए श्रावस्ती नगरी में आये ॥७॥
Well versed in the knowledge of twelve angas, enlightened Gautama, with his disciples came to Srāvasti city wandering village to village. (7)
कोट्ठगं नाम उज्जाणं, तम्मी नयरमण्डले ।
फासुए सिज्जसंथारे, तत्थ वासमुवागए ॥८॥ नगरी के निकट कोष्ठक नाम का उद्यान था, वहाँ प्रासुक शय्या संस्तारक आदि सुलभ थे, अतः वे वहाँ ठहर गये ॥८॥ He stayed at the Kosthaka park, nearby city, taking pure place for residence. (8)
केसीकुमार - समणे, गोयमे य महायसे ।
उभओ वि तत्थ विहरिंसु, अल्लीणा सुसमाहिया ॥९॥ आत्मलीन (अल्लीणा) और सम्यक् समाधि से युक्त कुमारश्रमण केशी और महान यशस्वी गौतम-दोनों ही वहाँ (नगरी में) विचरते थे ॥९॥
Fixed in his own soul and endowed with right contemplation Kesi Kumāraśramana and most glorious Gautama-both were wandering inthe city. (9)
उभओ सीससंघाणं, संजयाणं तवस्सिणं ।
तत्थ चिन्ता समुप्पन्ना, गुणवन्ताण ताइणं ॥१०॥ संयत, तपस्वी, गुणवान और छह काया के रक्षक दोनों ही शिष्य-संघों में यह चिन्तन समुत्पन्न हुआ-॥१०॥
Restrained, penancer, virtuous and saviours of all the six species the disciples of both engrossed by these thoughts-(10)
केरिसो वा इमो धम्मो ? इमो धम्मो व केरिसो ? । आयारधम्मपणिही, इमा वा सा व केरिसी? ॥११॥
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