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तर सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
त्रयोविंश अध्ययन [२८६
यह कैसा धर्म है? और यह कैसा धर्म है? आचारधर्म की व्यवस्था (पणिही) यह कैसी है ? और यह कैसी है? ॥११॥
What type of religion in this (ours) and what type of those ? What type of system of conduct it is (ours) and what type of those ? (11) .
चाउज्जामो य जो धम्मो, जो इमो पंचसिक्खिओ ।
देसिओ वद्धमाणेण, पासेण य महामुणी ॥१२॥ यह चातुर्याम धर्म है, इसका प्रतिपादन महामुनि पार्श्वनाथ ने किया है और यह पंचशिक्षा रूप धर्म है, इसका उपदेश महामुनि वर्द्धमान ने किया है ॥१२॥
It is four-vowed religion precepted by Bhagawāna Pārsvanātha and it is five-vowed religion precepted by Bhagawāna Vardhamāna. (12)
अचेलगो य जो धम्मो, जो इमो सन्तरुत्तरो ।
एगकज्ज - पवन्नाणं, विसेसे किं नु कारणं ? ॥१३॥ भगवान वर्द्धमान ने यह अचेलक धर्म (वस्त्र रहित व अल्प वस्त्र वाला) बताया है जबकि भगवान पार्श्वनाथ ने सान्तरोत्तर-(रंग बिरंगे व मूल्यवान वस्त्रों वाला) धर्म की प्ररूपणा की है। एक ही लक्ष्य के लिए प्रवृत्त साधकों में यह भेद क्यों है ?॥१३॥
Bhagawāna Vardhmāna prescribed the religion without or with few and simple cloths: while Bhagawāna Pārsvanātha precepted that śramana can wear multi-coloured and costly cloths. Pursuing the same end, why this difference occurred for the sages. (13)
अह ते तत्थ सीसाणं, विनाय पवितक्कियं ।
समागमे कयमई, उभओ केसि-गोयमा ॥१४॥ शिष्यों के शंकायुक्त (पवितक्किय) विचार-विमर्श को जानकर केशी और गौतम-दोनों ने ही परस्पर मिलने की इच्छा की ॥१४॥
Knowing the doubtful thoughts of their disciples both-Keśī and Gautama made up their minds to meet each other. (14)
गोयमे पडिरूवन्नू, सीससंघ - समाउले ।
जेठं कुलमवेक्खन्तो, तिन्दुयं वणमागओ ॥१५॥ ___ यथोचित विनय व्यवहार के ज्ञाता गौतम केशी श्रमण के कुल को ज्येष्ठ कुल समझकर अपने शिष्य समूह के साथ तिन्दुक उद्यान में आये ॥१५॥
Well versed in courteous behaviour, knowing elder Keśī, Gautama went to Tinduka park with his disciples. (15)
केसीकुमार - समणे, गोयमं दिस्समागयं । पडिरूवं पडिवत्तिं, सम्मं संपडिवज्जई ॥१६॥
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