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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनविंश अध्ययन [२३४
चवेडमुट्ठिमाईहिं, कुमारेहिं अयं पिव ।
ताडिओ कुट्टिओ भिन्नो, घुण्णिओ य अणन्तसो ॥६॥ लुहार जिस तरह लोहपिंड को कूटता-पीटता है उसी तरह परमाधर्मी देवों द्वारा मैं चपतों-चाँटोंथप्पड़ों, मुक्कों द्वारा अनन्त बार पीटा गया, कूटा गया, टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया और चूर्ण बना दिया गया ॥६॥
As a blacksmith macerate and gives stroke to a lump of iron by hammer so have I been by most irreligious deities by slaps, fists, beaten, macerated, tomed and crushed infinite number of times. (68)
तत्ताई तम्बलोहाई, तउयाइं सीसयाणि य ।
पाइओ कलकलन्ताई, आरसन्तो सुभेरवं ॥६९॥ भयंकर आक्रन्दन करते हुए भी मुझे कलकलाता-उबलता हुआ गर्मागर्म लोहा, ताँबा, रांगा और सीसा पिलाया गया ॥६९॥
Screaming enormously, even I forcibly made to drink boiling fluid iron, copper, tin and lead. (69)
तुहं पियाई मंसाइं, खण्डाई सोल्लगाणि य ।
खाविओ मि समंसाई, अग्गिवण्णाई णेगसो ॥७०॥ __ 'तुझे खण्ड-खण्ड किया हुआ तथा शूल में पकाया हुआ मांस बहुत प्रिय था (परमाधर्मी असुरकुमारों द्वारा यह याद दिला-दिलाकर) मेरे अपने ही शरीर का मांस काटकर और उसे अग्नि में तपाकर लाल सुर्ख करके मुझे अनेक बार खिलाया गया ॥७०॥
You were fond of meat minced or roasted' (memorizing me thus by most irreligious cruel deities) I have made to eat the flesh of my own body, cutting and making red hot. (70)
तुहं पिया सुरा सीहू, मेरओ य महूणि य ।
पाइओ मि जलन्तीओ, वसाओ रुहिराणि य ॥७१॥ 'तुझे सुरा, सीधु, मैरेय और महुए आदि से निर्मित मद्य-मादक पदार्थ बहुत प्रिय थे-यह याद दिलाकर मुझे जलती हुई चर्बी और रक्त पिलाया गया ॥७१॥
Memorizing me that 'You were very fond of wine, liquor and different kinds of alcohols,' I forcibly made to drink burning fat and blood. (71)
निच्चं भीएण तत्थेण, दहिएण वहिएण य ।
परमा दुहसंबद्धा, वेयणा वेइया मए ॥७२॥ __ मैंने इस प्रकार अपने पूर्वजन्मों में सदा भयकारक, दुःखित, कष्टित, पीड़ित और व्यथित होकर अत्यन्त दुःख वेदना का अनुभव किया है ॥७२॥
Thus I have experienced the most painy agonies, ever being frightened, trembling, distressed in my previous births. (72)
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