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२३१] एकोनविंश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
Without brethrens, helpless, weeping and screaming I was suspended upside of a cauldron, cut to pieces by scissors, saws and daggers infinite number of times. (52)
सिम्बलपायवे ।
अतिक्खकंटगाइणे, तुंगे खेवियं पासबद्धेणं, कड्ढोकड्ढाहिं दुक्करं ॥ ५३ ॥
अत्यन्त तीक्ष्ण काँटों से आकीर्ण शाल्मली वृक्ष से जाल (पाश) द्वारा बाँधकर मुझे इधर-उधर खींचा गया, उस दुस्सह कष्ट को मैं भोग चुका हूँ ॥५३॥
I was tied to Śälmali tree bristling with very sharp thorns, with the help of snares and pushed and pulled up and down, this side that side. I have undergone such unbearable agonies. (53)
महाजन्तेसु उच्छू वा, आरसन्तो पीलिओ मि सम्मेहिं, पावकम्मो अणन्तसो ॥ ५४ ॥
सुभैरवं ।
अपने ही पापकर्मों के कारण बड़े-बड़े यन्त्रों - कोल्हुओं में मुझे इक्षु के समान अनन्त बार पीला गया। उन दुस्सह कष्टों को मुझे आक्रन्दन करते हुए भोगना पड़ा||४||
On acount of my own sins I have been crushed like sugarcane in heavy presses infinite number of times. I have to bear those torments with screamings, wailings and weepings. (54)
कूवन्तो कोलसुणएहिं, सामेहिं सबलेहिय ।
पाडिओ फालिओ छिन्नो, विष्फुरन्तो अणेगसो ॥५५॥
सूअर और श्वान रूपधारी श्याम और शबल नामक परमाधर्मी देवों द्वारा, इधर-उधर भागते हुए, चिल्लाते हुए मुझे पकड़ा गया, अनेक बार ऊपर से नीचे गिराया गया, फाड़ा गया और छिन्न-भिन्न किया गया ।। ५५ ।।
By the most irreligious cruel deities (परमाधर्मी देव) named Syāma and Śabala (black and spotted) in the guise of wild hogs and haunting dogs I was caught, when I was running hither and thither for escape and screaming, I was innumerable times thrown-fallen down, tored and lacerated. (55)
असीहि अयसिवण्णाहिं, भल्लीहिं पट्टिसेहि य । छिन्नो भिन्नो विभिन्नो य, ओइण्णो पावकम्मुणा ॥ ५६ ॥
पापकर्मों के कारण मैं नरक उत्पन्न हुआ। वहाँ मुझे अलसी के फूल समान नीले रंग की तलवारों से, भालों से और लोहे के डण्डों से पीटा गया, छेदा गया, भेदा गया, और खण्ड-खण्ड कर दिया गया ॥ ५६ ॥
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I was born in hell for my sins. There I was cut, pierced and hacked to pieces by swords, daggers, darts, javelins and iron rods. (56)
अवसो लोहरहे जुत्तो, जलन्ते समिलाजुए । चोइओ तोत्तजुत्तेहिं, रोज्झो वा जह पाडिओ || ५७ ॥
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