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तinसचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
एकोनविंश अध्ययन [२३०
जरा-मरणकन्तारे, चाउरन्ते भयागरे ।
मए सोढाणि भीमाणि, जम्माणि मरणाणि य ॥४७॥ मैंने चतुर्गति रूप भय के स्थल, वृद्धत्व और मृत्यु रूपी महावन में जन्म-मरण के कष्टों को सहन किया है ॥४७॥
I have undergone the fearful world of four existences i. e., hell, beast, human and god, and suffered the miseries and pains of old age, birth and death, in this broad wood of universe. (47)
जहा इहं अगणी उण्हो, एत्तोऽणन्तगुणे तहिं ।
नरएसु वेयणा उण्हा, अस्साया वेइया मए ॥४८॥ अग्नि यहाँ जितनी उष्ण है, उससे भी अनेक (अनन्त) गुनी उष्णता मैंने नरकों में भोगी है ॥४॥ The fire as hot in this human world. I have suffered infinite times heat in hells. (48)
जहा इमं इहं सीयं, एत्तोऽणंतगुणं तहिं ।
_नरएसु वेयणा सीया, अस्साया वेइया मए ॥४९॥ यहाँ जितना शीत है उससे भी अनन्त गुणी शीत वेदना मैंने नरकों में सहन की है ॥४९॥ As much cold is in this world. I have experienced infinite times cold torments in hells. (49)
कन्दन्तो कंदुकम्भीसु, उड्डपाओ अहोसिरो।
हुयासणे जलन्तम्मि, पक्कपुव्वो अणन्तसो ॥५०॥ मैं नरक की कन्दुकुम्भियों में नीचे सिर और ऊपर पैर करके प्रज्वलित अग्नि में आक्रन्दन करता हुआ अनन्त बार पकाया गया हूँ ॥५०॥
I have been roasted in vast cauldrons (कन्दुकुम्भी ) of hell infinite times, though screaming, by blazing fire, my legs up and head down. (50)
महादवग्गिसंकासे, मरुम्मि वइरवालुए ।
कलम्बवालुयाए य, दडपुव्वो अणन्तसो ॥५१॥ महाभयंकर दावाग्नि के समान मरुप्रदेश में वज्र-जैसी कंकरीली रेत में तथा नदी तट की तप्त बालुका में मैं अनन्त बार जलाया गया हूँ ॥५१॥
I have been roasted as the desert on fire, the sands of rivers vairavāluya (the sand on the bank of this river like steel filings-वज्रवालुका) and kadamba-valuya (its sand is turmeric infinite number of times. (51)
रसन्तो कंदुकुम्भीसु, उई बद्धो अबन्धवो ।
करवत्त-करकयाईहिं, छिन्नपुव्वो अणन्तसो ॥५२॥ ___ बन्धु-बान्धवों से रहित, असहाय, रोता-आक्रन्दन करता हुआ मैं कन्दुकुम्भी में ऊँचा बाँधा गया और करवत तथा क्रकच, आरा आदि शस्त्रों से अनन्त बार छेदा-भेदा गया हूँ |॥५२॥
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