________________
२०३] सप्तदश अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
विशेष स्पष्टीकरण गाथा १५-विकृति और रस दोनों समानार्थक है। विकृति के नौ प्रकार हैं-१. दूध, २. दही, ३. नवनीत, ४. घृत, ५. तैल, ६. गुड़, ७. मधु, ८. मद्य और ९. मांस।
गाथा १७-पाषण्ड का अर्थ व्रत है। जो व्रतधारी है, वह पाषण्डी है। परपाषण्ड से यहाँ अभिप्राय अन्य मतों से है।
गाणंगणिक का अर्थ है "जल्दी-जल्दी गण बदलने वाला।" भगवान महावीर द्वारा प्रवर्तित संघव्यवस्था है कि भिक्षु जिस गण में दीक्षित हो, उसी में यावज्जीवन रहे। अध्ययन आदि के लिए यदि गण बदलने की जरूरत है तो गुरु की आज्ञा से अपने साधर्मिक गणों में जा सकता है। परन्तु दूसरे गण में जाकर भी कम से कम छह महीने तक तो गण का पुनः परिवर्तन नहीं किया जा सकता। अतः जो मुनि बिना विशेष कारण के छह मास के भीतर ही गण परिवर्तन करता है, वह गाणंगणिक (गणबदलू) पापश्रमण है। (बृहद्वृत्ति)
गाथा १९-सामुदानिक भिक्षा का अर्थ दो प्रकार से किया जाता है-१. अनेक घरों से लाई हुई भिक्षा और २. अज्ञात उञ्छ-अर्थात अपरिचित घरों से थोड़ी-थोड़ी लाई हुई भिक्षा।
Salient Elucidations
Gathă 15-Mental agitation or distortion of normal sense passfa) and tastiness or taste bear the same meaning. Mental agitation is of nine kinds-1. milk, 2. curd, 3. butter, 4. ghrta-ghee, 5. Oil-cooking oil, 6. treacle, 7. honey, 8. alcohol-wine, and 9. flesh-meat.
Gathā n-Pasanda means vow. Who observes vow is Pasandi. Para-Pasanda here means the other creeds and sects..
Gānamganka means who changes the gana very soon. The system of confederation (संघ व्यवस्था) commenced by Bhagawana Mahavira is that the mendicant accepts the consecration in which gana, should remain in the same till life. If change of gaņa becomes essential for study then by consent of preceptor a mendicant can go to other gana of the same religious order. But mendicant must remain in that gana at least for six months; before this period the change of gana cannot be done again. Therefore the monk who changes the gana without any special cause, within the period of six months is ganarhganka (gana changer) and he is a sinful sage. (Vrhad Vrti)
Gathā 19-Samudanika alm is interpretated in two ways-1. Aims taken from many houses and 2. from unacquainted houses taken alms in meagre quantitv
For Private & Personal Use Only
Jain Education International
ww.jalnelibrary.org