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षोडश अध्ययन (१८८
त सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
(Q.) Why it is so?
(Ans.) Preceptor explains-By listening such voices of women, the celibate knot-free monk may be doubtful about the benefits of celibacy, he may desire sexual intercourse, intensity of desire may frustrate his mind, vow of celibacy may be broken, the position of mental disorder may occur, prolonged illness may catch him, he forsakes the religious order precepted by kevalins.
Therefore knot-free monk should not hear such words or voices of women. सूत्र ८-नो निग्गन्थे पुव्वरयं, पुव्वकीलियं अणुसरित्ता हवइ, से निग्गन्थे । तं कहमिति चे?
आयरियाह-निग्गन्थस्स खलु पुव्वरयं, पुव्वकीलियं अणुसरमाणस्स बम्भयारिस्स बंभचेरे संका वा, कंखा वा, वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायंकं हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा। ___ तम्हा खलु नो निग्गन्थे पुव्वरयं, पुव्वकीलियं अणुसरेज्जा । छठा ब्रह्मचर्य समाधि स्थान
सूत्र ८-संयम ग्रहण करने से पूर्व की हुई रति और क्रीड़ा का अनुस्मरण जो नहीं करता; वह निर्ग्रन्थ
(प्रश्न) ऐसा क्यों है?
(उत्तर) आचार्य कहते हैं- संयम ग्रहण करने से पूर्व की हुई रति एवं क्रीड़ा का स्मरण करने से ब्रह्मचारी निर्ग्रन्थ को ब्रह्मचर्य में शंका, कांक्षा और विचिकित्सा उत्पन्न होती है अथवा ब्रह्मचर्य का भंग हो जाता है या उन्माद उत्पन्न होता है अथवा दीर्घकालिक रोग व आतंक से ग्रसित हो जाता है, वह केवली प्ररूपित धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।
अतः निर्ग्रन्थ पूर्व रति और क्रीड़ा का स्मरण भी न करे।
Maxim 8-(Sixth celibacy condition)-Who does not recall to his memory the pleasures and amusements he enjoyed (with women) before becoming a houseless mendicant, he is a knot-free monk.
(Q.) Why it is so?
(Ans.) Preceptor tells-Before accepting restrain, one who has enjoyed pleasures and amusements in householder-life, by memorising them, the celibate knotless monk may be doubtful about the benefits of celibacy, may desire sexual intercourse, intensity of sexual feelings may frustrate his mind, celibacy may be broken, mental disorder may take place or he may be caught by dangerous sickness of long duration, he forsakes the religious order precepted by kevalins.
Therefore knot-free monk should not recall to mind the past amusements and pleasures. सूत्र ९-नो पणीयं आहारं आहारित्ता हवइ, से निग्गन्थे । तं कहमिति चे?
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