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सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
तं जहा
विवित्ता सयणासणाई सेविज्जा, से निग्गन्थे । नो-इत्थी-पसु-पण्डगसंसत्ताइं सयणासणाई सेवित्ता हवइ, तं कहमिति चे ?
से निग्गन्थे ।
आयरियाह - निग्गन्थस्स खलु इत्थी - पसु -पण्डगसंसत्ताइं सयणासणारं सेवमाणस्स बम्भयारिस्स बंभचेरे संका वा, कंखा वा वितिगिच्छा वा समुप्पज्जिज्जा, भेयं वा लभेज्जा, उम्मायं वा पाउणिज्जा, दीहकालियं वा रोगायकं हवेज्जा, केवलिपन्नत्ताओ वा धम्माओ भंसेज्जा ।
षोडश अध्ययन [ १८४
तम्हा नो इत्थि - पसु -पंडगसंसत्ताइं सयणासणाई सेवित्ता हवइ, से निग्गन्थे ।
सूत्र ३ - ( सुधर्मा स्वामी) स्थविर भगवन्तों ने ब्रह्मचर्य समाधि के ये दस स्थान बताये हैं, जिन्हें सुनकर, जिनके अर्थ का निर्णय कर भिक्षु संयम, संवर, समाधि से अधिकाधिक संपन्न हो - मन-वचन-काया का गोपन करे, इन्द्रियों को वश में रखे, ब्रह्मचर्य को सुरक्षित रखे तथा सदा अप्रमत्त रहकर विहार करे ।
वेदश स्थान इस प्रकार हैं
प्रथम ब्रह्मचर्य समाधि स्थान
जो विविक्त शयन आसन का सेवन करता है, वह निर्ग्रन्थ है ।
जो स्त्री, पशु, नपुंसक से संसक्त शयन आसन का सेवन उपयोग नहीं करता, वह निर्ग्रन्थ है। ( प्रश्न ) ऐसा क्यों है ?
(उत्तर) आचार्य कहते हैं - स्त्री-पशु- नपुंसक से संस्पृष्ट- सेवित शयन और आसन का सेवन - उपयोग करने वाले ब्रह्मचारी निर्ग्रन्थ के ब्रह्मचर्य के विषय में शंका, कांक्षा (भोगेच्छा), विचिकित्सा उत्पन्न होती है, अथवा ब्रह्मचर्य का भंग हो जाता है, या उन्माद अथवा दीर्घकालीन रोग और आतंक उत्पन्न हो जाते हैं, वह केवली भगवान द्वारा कहे हुए धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।
अतः जो स्त्री-पशु- नपुंसक से संस्पृष्ट शयन और आसन का सेवन नहीं करता, वह निर्ग्रन्थ है।
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Maxim 3-(Sudharma Swami) Old experienced reverend sages told these ten conditions of celibacy contemplation, hearing these, deciding the inherent meanings of these, mendicant becoming more and more opulent in restrain, check of inflow of karmas and contemplation, should make latent mind, speech and body. Control the senses, protect celibacy and always carefully move.
These ten conditions are as follows
First Celibacy condition
He, who uses the discriminated or separate (fafah) bed and seat is a knotless sage. Who does not use the bed and seat which have been used by woman, eunuch and beast, and avoids it, he is a knotless monk.
(Q). Why it is so ?
(Ans) Preceptor explains-If a celibate knotless monk uses the places for sleep and sitting, used by woman, beast and eunuch; then the doubt about the benefits of celibacy may arouse, desire of sexual intercourse may take place, his mind may be frustrated due to the
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