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९५] नवम अध्ययन
सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
हे क्षत्रिय ! पहले तुम विशाल यज्ञ करो, श्रमण और माहनों को भोजन कराओ, दान दो, भोगों को भोगो और फिर स्वयं यज्ञ करके साधु होना ॥३८॥
Ksatriya (great warrior) ! Organise an elaborate oblation (religious sacrifice according to vaidic tradition), feed hermitages-sages and priests-brähmaņas, give alms, enjoy yourself and then be an ascetic. (38)
एयमठें निसामित्ता, हेऊकारण-चोइओ ।
तओ नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी-॥३९॥ इन्द्र के इस कथन को सुन और हेतु-कारण से प्रेरित नमि राजर्षि ने इन्द्र से कहा-॥३९॥
Hearing these word of ruler of gods, the royal seer Nami pursuing his arguments and reasons spoke thus unto him-(39)
'जो सहस्सं सहस्साणं, मासे मासे गवं दए ।
तस्सावि संजमो सेओ, अदिन्तस्स वि किंचण ॥४०॥ जो मानव प्रति मास दस लाख गायें दान देता है उसके लिए भी संयम श्रेयस्कर है-कल्याणकारी है, चाहे वह कुछ भी दान न दे ॥४०॥
One who donates thousands and thousands cows every month, but superior is he who observe restrain though he has nothing to give. (40)
एयमझें निसामित्ता, हेऊकारण - चोइओ ।
तओ नमिं रायरिसिं, देविन्दो इणमब्बवी-॥४१॥ राजर्षि के इस अर्थ को सुनकर, हेतु-कारण से प्रेरित देवेन्द्र ने नमि राजर्षि से कहा-॥४१॥
Hearing this reply given by royal seer Nami, the king of gods inspired by his causes and reasons spoke these words unto him-(41)
'घोरासमं चइत्ताणं, अन्नं पत्थेसि आसमं ।
इहेव पोसहरओ, भवाहि मणवाहिवा ! ॥४२॥' हे नराधिप ! तुम घोराश्रम-गृहस्थाश्रम को छोड़कर अन्य आश्रम (संन्यास) की इच्छा कर रहे हो (यह अनुचित है)। इसी गृहस्थाश्रम में रहकर पोषधरत हो जाओ ॥४२॥
Renouncing the most difficult life-order (घोराश्रम) i.e., the life-order of a householder, you are wishing to enter another life-order viz., recluse life-order. It is not proper to you Remaining a householder observe posadha. (42)
एयमझें निसामित्ता, हेऊकारण-चोइओ ।
तओ नमी रायरिसी, देविन्दं इणमब्बवी-॥४३॥ देवेन्द्र के इस कथन को सुन, हेतु-कारण से प्रेरित नमि राजर्षि ने उससे कहा-॥४३॥
Hearing these words spoken by ruler of gods, the royal seer Nami pursuing his arguments and reasons said unto him-(43)
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