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in सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
षष्टम अध्ययन [६२
विविच्च कम्मुणो हेळं, कालकंखी परिव्वए ।
मायं पिंडस्स पाणस्स, कडं लभ्रूण भक्खए ॥१५॥ समय (अवसर) को जानने वाला साधक कर्म (बंध) के कारणों को जानकर उन्हें दूर करके विचरण करे तथा गृहस्थ द्वारा उसके अपने लिए बनाए गये भोजन-पानी में से अपनी आवश्यकतानुसार ग्रहण करके उस भोजन को खाए ॥१५॥
Realiser of the importance of time, an adept recognising the causes of karmic bondage should make away them and live patiently. He should take permitted quantity of food and water, prepared by householders for their own consumption. (15)
सन्निहिं च न कुव्वेज्जा, लेवमायाए संजए ।
पक्खी पत्तं समादाय, निरवेक्खो परिव्वए ॥१६॥ संयमी लेपमात्र (लेशमात्र) भी संचय न करे। वह पक्षी के समान निरपेक्ष होकर तथा पात्र हाथ में लेकर भोजन की गवेषणा करे ॥१६॥
Restrained should not accumulate the eatables even so little sticking his alms-bowl; but like a bird he should seek for food with alms-bowl in his hand. (16)
एसणासमिओ लज्जू, गामे अणियओ चरे ।
__अप्पमत्तो पमत्तेहिं, पिंडवायं गवेसए ॥१७॥ भिक्षु एषणा समिति और लज्जा से युक्त होकर ग्राम नगर आदि में प्रतिबन्ध रहित होकर विचरण करे तथा अप्रमत्त साधु गृहस्थों के घरों में आहार-पानी की गवेषणा करे ॥१७॥
Mendicant should wander in villages, cities with seeking-restraint; being himself nonnegligent should take food from negligents (प्रमत्त) householders. (17)
एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी, अणुत्तरदंसी अणुत्तरनाणदंसणधरे । अरहा नायपुत्ते भगवं, वेसालिए वियाहिए ॥१८॥
-त्ति बेमि । उन अनुत्तरज्ञानी, अनुत्तरदर्शी, अनुत्तरज्ञान-दर्शन के धारक, अर्हन्, ज्ञातपुत्र, वैशालिक भगवान महावीर ने इस प्रकार कहा है ॥१८॥
-ऐसा मैं कहता हूँ। Thus has been spoken by the Arhan, Jñatputra, venerable, native of Vaiśāli, who possesses supreme knowledge and perception, Bhagavana Mahavira having utmost knowledge and perception simultaneously.
-Such I speak विशेष स्पष्टीकरण गाथा ८-"दोगुंछी" का अर्थ है "जुगुप्सी" जुगुप्सा करने वाला (चूर्णि)। जुगुप्सा का अर्थ है-संयम। असंयम से जुगुप्सा अर्थात् विरक्ति ही संयम है-“दुगुंछा-संजमो। किं दुगुं छति? असंजम।"
Salient Elucidations Gātha 8-Dogunchi means a decrier (Cūrni). Decry here means jugupsā-restrain. Jugupsă from unrestrain, in other words aversion is restrain. Duguncha-Sanjamo. Kim duguṁ chati ? Asanjaman.
SA3800-33296805001
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