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तIn सचित्र उत्तराध्ययन सूत्र
पंचम अध्ययन [५४
उत्तराइं विमोहाई, जुइमन्ताणुपुव्वसो ।
समाइण्णाई जक्खेहिं, आवासाइं जसंसिणो ॥२६॥ देवों के आवास क्रमशः ऊपर-ऊपर उत्तरोत्तर उत्तम, द्युतिमान् तथा यशस्वी देवों से आकीर्ण होते हैं ॥२६॥
The abodes of gods, layer on layer, one than the other are lustrous and shining. Most illustrious gods reside there. (26)
दीहाउया इडिढमन्ता. समिद्धा काम-रूविणो ।
अहुणोववन्न-संकासा, भुज्जो अच्चिमालि-प्पभा ॥२७॥ उनमें निवास करने वाले देव यशस्वी, दीर्घायु, दीप्ति-कान्ति वाले, इच्छानुसार रूप धारण करने में समर्थ होते हैं; अभी-अभी उत्पन्न हुए हों ऐसी कान्ति वाले तथा सूर्य-प्रभा के समान तेजस्वी होते हैं ॥२७॥
Those gods have long life, great fortune, fame, affluent and can transform their shape at will, remain life-long as fresh as just born, having a brilliance of many sun. (27)
ताणि ठाणाणि गच्छन्ति, सिक्खित्ता संजमं तवं ।
भिक्खाए वा गिहत्थे वा, जे सन्ति परिनिव्वुडा ॥२८॥ इन रमणीय देव-स्थानों में उपशान्त हृदय वाले भिक्षु (श्रमण) अथवा सद्गृहस्थ हिंसा से निवृत्त और तप-संयम की साधना करके जाते हैं-उत्पन्न होते हैं ॥२८॥
The calm-hearted, passionless mendicants and fully devoted good-conducted householders go to those god abodes by observing penance and restrain and devoid of violence in full. (28)
तेसिं सोच्चा सपुज्जाणं, संजयाण वुसीमओ ।
न संतसन्ति मरणन्ते, सीलवन्ता बहुस्सुया ॥२९॥ उन संत जनों द्वारा पूज्य-वन्दनीय संयत और इन्द्रिय विजयी आत्माओं का यह वर्णन सुनकर शीलवान् और बहुश्रुत साधक (मुनि अथवा गृहस्थ) मृत्यु के समय भी संत्रस्त-भयभीत नहीं होते ॥२९॥
Having heard this description of venerables, restrained, sense-overcomers-by the saints, the good conducted and well-versed adept, may he be a mendicant or a householder, does not tremble and remorse at the hour of death. (29)
तुलिया विसेसमादाय, दयाधम्मस्स खन्तिए ।
विप्पसीएज्ज मेहावी, तहा-भूएण अप्पणा ॥३०॥ मेधावी साधक सकाममरण और अकाममरण की आपस में तुलना करके विशिष्ट (सकाममरण) को स्वीकार करे तथा दयाधर्म और क्षमा से अपनी आत्मा को भावित कर प्रसन्न रहे ॥३०॥
The intelligent person, after comparing both types of death-voluntary and involuntary, one with another, accepts the better one and remains happy by absolving with kindness and forgiveness. (30)
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