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5 उस समय भरत क्षेत्र में जहाँ-तहाँ अनेक गुल्म (वृक्षों की पंक्तियाँ) थे। जैसे सेरिका - गुल्म, नवमालिका
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का - गुल्म, कोरंटक - गुल्म, बन्धुजीवक गुल्म, मनोऽवद्य - गुल्म, बीज - गुल्म, बाण- गुल्म, फ
5 कर्णिकार - गुल्म, कुब्जक - गुल्म, सिंदुवार - गुल्म, मुद्गर-गुल्म, यूथिका-गुल्म, मल्लिका- गुल्म, वासंतिका - गुल्म, वस्तुल - गुल्म, कस्तुल-गुल्म, शैवाल - गुल्म, अगस्ति-गुल्म, मगदंतिका - गुल्म, चंपक
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फगुल्म, जाती- गुल्म, नवनीतिका - गुल्म, कुन्द - गुल्म, महाजाती- गुल्म थे। वे रमणीय, बादलों की घटाओं
5 जैसे गहरे, पंचरंगे फूलों से युक्त थे। वायु से प्रकम्पित अपनी शाखाओं के अग्र भाग से गिरे हुए फूलों से 5
वे भरत क्षेत्र के अति समतल, रमणीय भूमिभाग को सुरभित बना देते थे ।
भरत क्षेत्र में उस समय जहाँ-तहाँ अनेक पद्मलताएँ तथा श्यामलताएँ थीं। वे लताएँ सब ऋतुओं में फूलती थीं यावत् लताओं का वर्णन जानना चाहिए।
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26. [Q.] Reverend Sir ! In the first aeon namely Sukhama - Sukhama of
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Avasarpani time-period of Bharat area in Jambu continent, when it was
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at its climax, what was the nature and the shape of Bharat area?
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उस समय भरत क्षेत्र में जहाँ-तहाँ बहुत-सी वनराजियाँ - वनपंक्तियाँ थीं। वे कृष्ण, कृष्ण आभायुक्त
इत्यादि अनेकविध विशेषताओं से विभूषित थीं, मनोहर थीं। पुष्प-पराग के सौरभ से मत्त भ्रमर,
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5 कोरंक, भृंगारक, कुंडलक, चकोर, नन्दीमुख, कपिल, पिंगलाक्षक, करंडक, चक्रवाक, बतख, हंस, 5 卐 सारस आदि अनेक पक्षियों के जोड़े उनमें विचरण करते थे। वे वनराजियाँ पक्षियों के मधुर शब्दों से सदा प्रतिध्वनित रहती थीं। वे वनराजियाँ चित्त को प्रसन्न करने वाली तथा मन में बस जाने वाली थीं।
[Ans. Gautam ! Its land was levelled and attractive. It was as much levelled as the upper part of a drum. It was decorated with beads of various colours (black, blue, red, turmeric-yellow and white) and grass. The men and women of that land were then enjoying the colour, smell, taste, touch and sound of beads and grass (as mentioned earlier) in different postures namely sleeping, standing, sitting, turning round their body to the right, or to the left, laughing, playing and the like.
At that time the trees in Bharat continent were of uddal, kuddal, muddal, krittamal, nrittamal, dantmal, nagamal, shringamal, shankhamal 5 and shwetamal species. Their roots were free of any grass or other types of 卐 weeds. They were having excellent type of mool (the upper part of roots), 5 kand (the inner part from where the roots off-shoot) and seeds. They were always covered with leaves, flowers and fruits and were very attractive.
5 जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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At that time in Bharat continent, there were many forests full of
5 trees namely Bherutal, Herutal, Merutal, Prabhatal, Sal, Saral, फ्र
5 Saptaparna, beetle nuts, palms, coconuts. Their roots were free from grass and weeds.
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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