SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 25555555555555555555550 ॐ उड्ढं उच्चत्तेणं, वइरामयकवाडोहाडिआओ, जमलजुअलकवाडघणदुप्पवेसाओ, णिच्चंधयारतिमिस्साओ, ववगयगहचंदसूरणक्खत्तजोइसपहाओ जाव पडिरूवाओ, तं जहा-तमिसगुहा चेव खंडप्पवायगुहा चेव। म तत्थ णं दो देवा महिट्टीया, महज्जुईआ, महाबला, महायसा, महासोक्खा, महाणुभागा, पलिओवमट्टिईया परिवसंति, तं जहा-कयमालए चेव णट्टमालए चेव। तेसि णं वणसंडाणं बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ। वेअहस्स पब्वयस्स उभओ पासिं दस दस जोअणाई उड्ढे उप्पइत्ता एत्थ णं दुवे विज्जाहरसेढीओ पण्णत्ताओ-पाईणपडीणाययाओ, उदीणदाहिणवित्थिण्णाओ, दस दस जोअणाई विक्खंभेणं, पव्वयसमियाओ आयामेणं, उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं, दोहिं वणसडेहिं संपरिक्खित्ताओ, ताओ णं पउमवरवेइयाओ अद्धजोअणं उड्ढे उच्चत्तेणं, पञ्च धणुसयाई विक्खंभेणं, पव्वयसमियाओ आयामेणं, वण्णओ णेयब्बो, वणसंडावि पउमवरवेइयासमगा आयामेणं, वण्णओ। १३. वैताढ्य पर्वत के पूर्व-पश्चिम में दो गुफाएँ हैं। वे उत्तर-दक्षिण लम्बी हैं तथा पूर्व-पश्चिम ॐ चौड़ी हैं। उनकी लम्बाई पचास योजन, चौड़ाई बारह योजन तथा ऊँचाई आठ योजन है। उनके वज्ररत्नमय-हीरकमय कपाट हैं, दो-दो भागों के रूप में निर्मित, समस्थित कपाट इतने सघन-निश्छिद्र, या निविड हैं कि गुफाओं में प्रवेश करना दुःशक्य है। उन दोनों गुफाओं में सदा अँधेरा रहता है। वे ग्रह, + चन्द्र, सूर्य तथा नक्षत्रों के प्रकाश से रहित हैं, अभिरूप एवं प्रतिरूप हैं। उन गुफाओं के नाम तमिस्रगुफा तथा खण्डप्रपातगुफा हैं। ॐ वहाँ कृतमालक तथा नृत्यमालक नामक देव निवास करते हैं। वे महान् ऐश्वर्यशाली, द्युतिमान्, बलवान्, यशस्वी, सुखी तथा भाग्यशाली हैं। एक पल्योपम की स्थिति या आयुष्य वाले हैं। उन वनखण्डों के भूमिभाग बहुत समतल और सुन्दर हैं। वैताढ्य पर्वत के दोनों पार्श्व में-दोनों ओर के दस-दस योजन की ऊँचाई पर दो विद्याधर श्रेणियाँ-(विद्याधरों के आवास) हैं। वे पूर्व-पश्चिम लम्बी ॐ तथा उत्तर-दक्षिण चौड़ी हैं। उनकी चौड़ाई दस-दस योजन तथा लम्बाई पर्वत जितनी ही है। वे दोनों पार्श्वभ में दो-दो पद्मवरवेदिकाओं तथा दो-दो वनखण्डों से परिवेष्टित हैं। वे पद्मवरवेदिकाएँ ऊँचाई में आधा ॐ योजन, चौड़ाई में पाँच सौ धनुष तथा लम्बाई में पर्वत-जितनी ही हैं। वनखण्ड भी लम्बाई में वेदिकाओं म जितने ही हैं। उनका वर्णन पूर्ववत् समझ लेना चाहिए। (उक्त सभी का स्पष्ट आकार संलग्न चित्रों से समझें) 卐 13. In east-west of Vaitadhya mountain there are two caves. They are 卐 long in north-south direction and wide in east-west direction. Their length is fifty yojan, width is twelve yojan and height is eight yojan. 4 They have doors studded with diamonds. Built in two parts, the doors are so solid that it is extremely difficult to enter in those caves. There is always darkness in the two caves. They are without any light of planets, constellations, the sun and the moon. The names of the two caves are Tamisra-gupha and Khandprapat-gupha. 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F55555555555 | जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (16) Jambudveep Prajnapti Sutra 555 步步步步步步步步步步步555555555555555555555 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy