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________________ 卐 4 5 yojan. In the south it is 38,740 yojan and ten-nineteenth of a yojan so far y as the length of circular arc in the south is concerned. ५ फफफफफफ 卐 卐 卐 卐 5 [उ. ] गोयमा ! रोहिआए महाणईए पच्चत्थिमेणं, रोहिअंसाए महाणईए पुरत्थिमेणं, हेमवयवासस्स बहुमज्झदेस भाए, एत्थ णं सद्दावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पण्णत्ते । एगं जोअणसहस्सं उद्धं उच्चत्तेणं, अद्धाइज्जाई फ जोअणसयाइं उब्वेहेणं, सव्वत्थसमे, पल्लंगसंठाणसंटिए, एगं जोअणसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोअणसहस्साई एगं च बावट्टं जोअणसयं किंचिविसेसाहिअं परिक्खेवेणं पण्णत्ते, सव्वरयणामए अच्छे से णं फ गाए पमवरवेइआए एगेण य वणसडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, वेइआवणसंडवण्णओ भाणि अव्वो । सद्दावइस्स णं वट्टवेअद्धपव्वयस्स उवरिं बहुसमरनणिज्जे भूमिभागे पण्णत्ते । तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एगे पासायवडेंसए पण्णत्ते। बावट्ठि जोअणाई अद्धजोयणं च उद्धं उच्चत्तेणं, इक्कतीसं जोअणाइं कोसं च आयामविक्खंभेणं जाव सीहासणं सपरिवारं । [प्र.] से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ सद्दावई वट्टवेयद्धपव्वए २ ? [उ.] गोयमा ! सद्दावई बट्टवेअद्धपव्वए खुद्दा खुद्दआसु वावीसु जाव सरसरपंतिआसु, 卐 5 बिलपंतिआसु बहवे उप्पलाई, पउमाई, सद्दावइप्पभाई, सद्दावइवण्णाई सद्दावइवण्णाभाई, सद्दावई अ इत्थ देवे महिड्डी जाव महाणुभावे पलिओवमट्ठिइए परिवसइत्ति । से णं तत्थ चउण्हं सामाणिआसाहस्सीणं जाव 5 रायहाणी मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं अण्णंमि जंबुद्दीवे दीवे० । 15 5 卐 ५ [Q.] Reverend Sir ! What is the nature, the contents and the related ५ state of Haimavat region? ५ [Ans.] Gautam ! It is very much levelled and attractive. Its nature f and the like are similar to that of Sukham-Dukhama-the third aeon of this time-cycle. शब्दापाती वृत्त वैताढ्य पर्वत SHABDAPATI VRITT VAITADHYA MOUNTAIN ९४. [ प्र. ] कहि णं भंते ! हेमवए वासे सद्दावई णामं वट्टवेअद्धपव्वए पण्णत्ते ? फ्र ९४. [ प्र. ] भगवन् ! हैमवत क्षेत्र में शब्दापाती नामक वृत्तवैताढ्य पर्वत कहाँ है ? [ उ. ] गौतम ! रोहिता महानदी के पश्चिम में, रोहितांशा महानदी के पूर्व में, हैमवत क्षेत्र के बीचोंबीच शब्दापाती नामक वृत्तवैताढ्य पर्वत है। वह एक हजार योजन ऊँचा है, अढाई सौ योजन भूमि में गहरा है, सर्वत्र समतल है । उसकी आकृति पलँग जैसी है। उसकी लम्बाई-चौड़ाई एक हजार योजन है। उसकी परिधि कुछ अधिक ३, १६२ योजन है। वह सर्वरत्नमय है। वह एक पद्मवरवेदिका तथा एक वनखण्ड द्वारा सब ओर से घिरा है। शब्दापाती वृत्तवैताढ्य पर्वत पर बहुत समतल एवं रमणीय भूमिभाग है। उस भूमिभाग के बीचोंबीच एक विशाल, उत्तम प्रासाद है। वह ६२३ योजन ऊँचा है, ३१ योजन १ कोस लम्बा-चौड़ा है। सिंहासन 5 पर्यन्त आगे का वर्णन पूर्ववत् है । जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (278) Jain Education International For Private & Personal Use Only hhhhhh Jambudveep Prajnapti Sutra தமிழகதழதமிழதமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமிமி*தமிழின 卐 卐 卐 फ्र www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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