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________________ 卐5555555555555555555555555555555555)))))))))) 05555555555555555555555555555555555 chief, entrusted them. Suitable jobs appropriate to their stated, 4 honoured them and allowed them to go. They then came back to their respective towns suburbs, and the like. सेनापति द्वारा भरत के समक्ष उपहार-अर्पण PRESENTATION OF GIFTS TO KING BY ARMY CHIEF ६८. [ २ ] ताहे सेणावई सविणओ घेत्तूण पाहुडाइं आभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरवि तं सिंधुणामधेनं उत्तिण्णे अणह-सासणवले, तहेव भरहस्स रण्णो णिवेएइ णिवेइत्ता य अप्पिणित्ता य पाहुडाई सक्कारिअ सम्माणिए सहरिसे विसज्जिए सगं पडमंडवमइगए। म तए णं सुसेणे सेणावई बहाए कयबलिकम्मे कयकोउअ-मंगलपायच्छित्ते जिमिअ-भुत्तुत्तरागए समाणे # जाव सरस-गोसीसचंदणुक्खित्तगायसरीरे उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धेहिं ___णाडएहिं वरतरुणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे २ उवगिज्जमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ महयाहय-णट्ट गीअ-वाइअ-तंती-तलताल-तुडिअ-घण-मुइंग-पडुप्पवाइअ रवेणं इढे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे भुंजमाणे विहरइ। ६८. [ २ ] अपने राजा के प्रति विनयशील, अप्रतिहत-शासन एवं बल वाले सेनापति सुषेण ने सभी उपहार, आभरण, भूषण तथा रत्न लेकर सिन्धु नदी को पार किया। वह राजा भरत के पास आया। आकर जिस प्रकार उस देश को जीता, वह सारा वृत्तान्त राजा से निवेदित किया। निवेदित कर सभी उपहार राजा को अर्पित किये। राजा ने सेनापति का सत्कार किया, सम्मान किया, सहर्ष विदा किया। सेनापति पटमंडप-तम्बू में स्थित अपने आवास-स्थान में आया। ___ तत्पश्चात् सेनापति सुषेण ने स्नान किया, नित्य-नैमित्तिक कृत्य किये, देह-सज्जा की दृष्टि से नेत्रों में अंजन आंजा, ललाट पर तिलक लगाया, दोष-निवारण हेतु चन्दन, कुंकुम, दही, अक्षत आदि से मंगल-विधान किया। फिर उसने राजसी ठाट से भोजन किया। भोजन कर विश्रामगृह में आया। शरीर के पर सरस गोशीर्ष चन्दन का जल छिड़का, ऊपर अपने आवास में गया। वहाँ मृदंग बज रहे थे। सुन्दर, तरुण स्त्रियाँ बत्तीस प्रकार के अभिनयों द्वारा नाटक कर रही थीं। सेनापति की पसन्द के अनुरूप नृत्य आदि क्रियाओं द्वारा वे उसका मनोरंजन करती थीं। नाटक में गाये जाते गीतों के अनुरूप वीणा, तबले एवं ढोल बज रहे थे। मृदंगों से बादल की-सी गंभीर ध्वनि निकल रही थी। वाद्य बजाने वाले वादक अपनी-अपनी वादन-कला में बड़े निपुण थे। सेनापति सुषेण इस प्रकार अपनी इच्छा के अनुरूप शब्द, स्पर्श, रस, रूप तथा गन्धमय पाँच प्रकार के मानवोचित, प्रिय कामभोगों का आनन्द लेने लगा। 68. [2] Sushen the army chief who was very loyal to the king and who 4 was a great commander and had great strength then crossed the Sindhu Si river with all the gifts, ornaments and jewels. He came to king Bharat and narrated in detail how he conquered that region. He then offered all the gifts to the king. The king honoured the army chief and happily allowed him to go. The army chief then came to the tent where he was staying. जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र (174) Jambudveep Prajnapti Sutra 555555555555555555555 स Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002911
Book TitleAgam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherPadma Prakashan
Publication Year2006
Total Pages684
LanguageHindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Book_English, Agam, Canon, Conduct, & agam_jambudwipapragnapti
File Size21 MB
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