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उस उत्सर्पिणी काल के दुषमा नामक द्वितीय आरक के प्रथम समय में भरत क्षेत्र की अशुभ फ्र अनुभावमय रूक्षता, दाहकता आदि का अपने प्रशान्त जल द्वारा शमन करने वाला पुष्कर - संवर्तक नामक महामेघ प्रकट होगा। वह महामेघ लम्बाई, चौड़ाई तथा विस्तार में भरत क्षेत्र जितना होगा। वह 卐 पुष्कर - संवर्तक महामेघ शीघ्र ही गर्जन करेगा, उसमें बिजलियाँ चमकने लगेंगी, शीघ्र ही वह युग- रथ 5 के अवयव विशेष (जूंवा), मूसल और मुष्टि - परिमित-मोटी धाराओं से सात दिन-रात तक सर्वत्र एक जैसी वर्षा करेगा। इस प्रकार वह भरत क्षेत्र के अंगारमय, मुर्मुरमय, क्षारमय, तप्त-कटाह सदृश, सब फ ओर से परितप्त तथा दहकते भूमिभाग को शीतल करेगा।
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48. [1] After the completion of 21,000 years of the first aeon dukhamdukhma of Utsarpani time-cycle, the second aeon dukhma shall start. There shall be gradual increase in modes like colour and others.
In the first Samay (unit of time) of the second aeon of Utsarpani 卐 time-cycle Pushkar Samvartak (circular) great cloud shall appear. It फ्र shall have the capacity of eliminating badly experienced dryness, burning nature of the land of Bharat area with its quietly raining water. That great cloud shall be in length expanse and breadth equal to Bharat area. It shall soon make roaring sound. The thunder and lightening shall shine in it. Soon it shall start raining which shall continue for seven days and seven nights. The rain shall be uniform and as thick as the yoke, rod or the fist. Thus the Bharat area whose land was burning like embers and was extremely hot due to scorching sun shall become cool. क्षीर, घृत, अमृत, रसमेघ वृष्टि RAIN OF MILK, GHEE, AMRIT JUICY CLOUDS
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४८. [ २ ] तंसि च णं पुक्खलसंवट्टगंसि महामेहंसि सत्तरत्तं णिवतितंसि समाणंसि एत्थ णं खीरमेहे णामं महामे पाउ भविस्सइ, भरहप्पमाणमेत्ते आयामेणं, तदणुरूवं च णं विक्खं भवाहल्लेणं । तए णं से 5 खीरमे णामं माहमे खिप्पामेव पतणतणाइस्सइ खिप्पामेव जुगलमुसलमुट्ठि - (प्यमाणमित्ताहिं धाराहिं ओघमेघं) सत्तरतं वासं वासिस्सइ, जेणं भरहवासस्स भूमीए वण्णं गंधं रसं फासं च जणइस्सइ । ४८. [२] सात दिन-रात तक पुष्कर - संवर्तक महामेघ के बरस जाने पर क्षीरमेघ नामक महामेघ प्रारम्भ होगा। वह लम्बाई, चौड़ाई तथा विस्तार में भरत क्षेत्र जितना होगा। वह क्षीरमेघ नामक फ्र विशाल बादल शीघ्र ही गर्जन करेगा, शीघ्र ही युग, मूसल और मुष्टिं (परिमित धाराओं से सर्वत्र एक 卐 सदृश) सात दिन-रात तक वर्षा करेगा । यों वह भरत क्षेत्र की भूमि में शुभ वर्ण, शुभ गन्ध, शुभ रस फ्र तथा शुभ स्पर्श उत्पन्न करेगा, जो पूर्वकाल में अशुभ हो चुके थे।
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48. [2] After the raining for seven days of Pushkar-Samvartak clouds, 5 the ksheer cloud (cloud containing milk-like water) shall start raining. फ्र Its length, breadth and expanse shall be equal to Bharat area. That cloud shall soon start roaring and then it shall rain continuously for 卐
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
Jambudveep Prajnapti Sutra
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