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55555555555555555555555555%%%%%%%%B 卐 जिनेन्द्र भगवान की भक्ति से, कइयों ने यह समुचित पुरातन परम्परानुगत व्यवहार है, यह सोचकर
तथा कइयों ने इसे अपना धर्म मानकर ऐसा किया। ईशान देवेन्द्रराज ने ऊपर की बायीं दाढ़ ग्रहण की। 41 43. [4] Thereafter, Shakrendra picked up the upper molar of the right y
side from Tirthankar pyre. The lord of Asuras took the lower molar of the right side. Vairochanendra Bali took the lower left molar. The remaining Bhavanapati and Vaimanik gods and others picked up the bones of
various parts of the body. Some took them as a token of respect and i devotion, and some as age long tradition and some as their duty 4
(dharma). Ishanendra took the upper molar of the left side. चैत्य स्तूप रचना CONSTRUCTING CHAITYA PILLAR
४३. [ ५ ] तए णं से सक्के देविंदे, देवराया बहवे भवणवइ जाव वेमाणिए देवे जहारिहं एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! सव्वरयणामए, महइमहालए तओ चेइअथूभे करेह, एगं भगवओ तित्थगरस्स चिइगाए, एगं गणहरचिइगाए, एगं अवसेसाणं अणगाराणं चिइगाए। तए णं ते बहवे करेंति।
४३. [५] तदनन्तर देवराज, देवेन्द्र शक्र ने भवनपति एवं वैमानिक आदि देवों को यों । कहा-देवानुप्रियो ! तीन सर्वरत्नमय विशाल स्तूपों का निर्माण करो। एक भगवान तीर्थंकर के चिता
स्थान पर, एक गणधरों के चिता-स्थान पर तथा एक अवशेष अनगारों के चिता-स्थान पर। उन बहुत से देवों ने वैसा ही किया।
43. [5] Thereafter, Shakrendra ordered Bhavanapati and Vaimanik gods to build three great totally gem-studded pillars-one at the cremation ground of Tirthankar, one at the pyre location of ganadhar and one at the pyre location of other monks. Those divine beings did the same immediately as directed.
४३. [६] तए णं ते बहवे भवणइ जाव वेमाणिआ देवा तित्थगरस्स परिणिव्वाणमहिमं करेंति, करेत्ता जेणेव नंदीसरवरे दीवे तेणेव उवागच्छन्ति। तए णं सक्के देविंदे, देवराया पुरथिमिल्ले अंजणगपव्वए अट्ठाहि महामहिमं करेति। तए णं सक्कस्स देविंदस्स देवरायस्स चत्तारि लोगपाला चउसु दहिमुहगपव्वएसु अट्ठाहियं महामहिमं करेंति। ईसाणे देविंद, देवराया उत्तरिल्ले अंजणगे अट्ठाहिक महामहिमं करेइ, तस्स लोगपाला चउसु दहिमुहगेसु अट्ठाहिअं, चमरो अ दाहिणिल्ले अंजणगे, तस्स लोगपाला दहिमुहगपव्वएसु, बली पच्चथिमिल्ले अंजणगे, तस्स लोगपाला दहिमुहगेसु।
तए णं ते बहवे भवणवइ वाणमंतर (दवा) अट्ठाहिआओ महामहिमाओ करेंति, करित्ता जेणेव साइं २ ॥ विमाणाई, जेणेव साई २ भवणाई, जेणेव साओ २ सभाओ सुहम्माओ, जेणेव सगा २ माणवगा चेइअखंभा # तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु जिण-सकहाओ पक्खिवंति, पक्खिवित्ता , अग्गेहिं वरेहिं मल्लेहि अगंधेहि अ अच्चेंति, अच्चत्ता विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणा विहरंति।
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
(102)
Jambudveep Prajnapti Sutra
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