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Thereafter, he decorated it with ornaments of various types. Later the Bhavanapati and Vaimanik gods bathed the bodies of ganadhars and other monks with gandhodak, applied gosheersh sandalwood paste on them and covered them with divine pieces of cloth. Thereafter, they decorated them with ornaments of all types.
शिविका रचना PREPARATION OF PALANQUIN
४३. [२] तए णं से सक्के देविंदे, देवराया ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिए देवे एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिआ ! ईहामिग-उसभ - तुरग ( णर - मगर - विहग - वालगकिन्नर - रुरुसरभ - चमर - कुंजर) वणलयभत्तिचित्ताओ तओ सिवियाओ विउव्वह, एगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अणगाराणं । तए णं ते बहवे भवणवइ जाव वेमाणिआ तओ सिविआओ विउब्वंति, एगं भगवओ तित्थगरस्स, एगं गणहराणं, एगं अवसेसाणं अणगाराणं ।
तए णं से सक्के देविंदे, देवराया विमणे, णिराणंदे, अंसुपुण्णणयणे भगवओ तित्थगरस्स विणट्ठजम्मजरामरणस्स सरीरगं सीअं आरुहेति आरुहेत्ता चिइगाइ ठवेइ । तए णं ते बहवे भवणवइ जाव बेमाणि देवा गणहराणं अणगाराण य विणट्ठजम्मजरामरणाणं सरीरगाई सीअं आरुहेंति, आरुहेत्ता चिइगाए ठवेंति ।
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४३. [२] तत्पश्चात् देवराज शक्रेन्द्र ने उन अनेक भवनपति, वैमानिक आदि देवों से कहा - "देवानुप्रियो ! ईहामृग - (भेड़िया) वृषभ, तुरंग - घोड़ा, (मनुष्य, मगर, पक्षी, सर्प, किन्नर, कस्तूरी मृग, शरभ - अष्टापद, चँवर, हाथी) वनलता के चित्रों से अंकित तीन शिविकाओं की विकुर्वणा करो - एक भगवान तीर्थंकर के लिए, एक गणधरों के लिए तथा एक अवशेष साधुओं के लिए।" इस पर उन बहुत से भवनपति, वैमानिक आदि देवों ने तीन शिविकाओं की विकुर्वणा की - एक भगवान तीर्थकर के लिए, एक गणधरों के लिए तथा एक अवशेष अनगारों के लिए।
तब उदास, खिन्न एवं अश्रुपूरित नयन देवराज देवेन्द्र शक्र ने भगवान तीर्थंकर के, जिन्होंने जन्म, जरा तथा मृत्यु को विनष्ट कर दिया था- इन सबसे जो अतीत हो गये थे, शरीर को शिविका पर आरूढ़ किया। आरूढ़ कर चिता पर रखा । भवनपति तथा वैमानिक आदि देवों ने जन्म, जरा तथा मरण के पारगामी गणधरों एवं साधुओं के शरीर शिविका पर आरूढ़ किये। आरूढ़ कर उन्हें चिता पर रखा ।
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43. [2] Thereafter, Shakrendra asked Bhavanapati and Vaimanik gods, "Blessed ones! Kindly prepare three Shivikas bearing sketches of leopard, bullock, horse, (human being, crocodile, birds, snake, kinnar, musk-deer, ashtapad, chanvar, elephant) and forest creepers, with fluid body-one for the Tirthankar, one for ganadhars and one for other monks." Then many Bhavanapati and Vaimanik divine beings prepared three palanquins one for the Tirthankar, one for ganadharas and one for other monks.
द्वितीय वक्षस्कार
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Second Chapter
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