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[Ans.] Gautam ! They had Vajra-rishabh-narach (the strongest possible) bone-structure.
३२. [प्र. ४ ] तेसि णं भंते ! मणुआणं सरीरा किंसंठिआ पण्णत्ता ?
[उ. ] गोयमा ! समचउरंससंठाणसंठिआ पण्णत्ता। तेसि णं मणुआणं बेछप्पण्णा पिट्ठकरंडयसया पण्णत्ता समणाउसो! ___३२. [प्र. ४ ] भगवन् ! उन मनुष्यों का दैहिक संस्थान कैसा होता है ? __ [उ. ] आयुष्मन् गौतम ! वे मनुष्य सम-चौरस-संस्थान-संस्थित होते हैं। उनके पसलियों की दो सौ : छप्पन हड्डियाँ होती हैं।
32. [Q. 4] Reverend Sir ! What was the constitution of the human body at that time?
[Ans.] Their constitution was well proportioned and balanced from all four sides. They had 256 rib-bones. __३२. [प्र. ५ ] ते णं भंते ! मणुआ कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छन्ति, कहिं उववज्जति ? __[उ. ] गोयमा ! छम्मासावसेसाउ जुअलगं पसवंति, एगूणपण्णं राइंदिआई सारक्खंति, संगोति; संगोवेत्ता, कासित्ता, छीइत्ता, जंभाइत्ता, अक्किट्ठा, अव्वहिआ, अपरिआविआ कालमासे कालं किच्चा देवलोएसु उववज्जंति, देवलोअपरिग्गहा णं ते मणुआ पण्णत्ता।
३२. [प्र. ५ ] भगवन् ! वे मनुष्य अपना आयुष्य पूरा कर कहाँ जाते हैं, कहाँ उत्पन्न होते हैं ?
[उ. ] गौतम ! जब उनका आयुष्य छह मास बाकी रहता है, वे युगल-एक बालक, एक बालिका उत्पन्न करते हैं। उनपचास दिन-रात उनकी सार-सम्हाल करते हैं, पालन-पोषण करते हैं, संगोपन-संरक्षण करते हैं। यों पालन तथा संगोपन कर वे खाँसकर, छींककर, जम्हाई लेकर, शारीरिक कष्ट, व्यथा तथा परिताप का अनुभव नहीं करते हुए काल-धर्म को प्राप्त होकर स्वर्ग में उत्पन्न होते हैं। उन मनुष्यों का जन्म स्वर्ग में ही होता है, अन्यत्र नहीं। (यौगलिक के आगे के भव का आयुष्य-बन्ध उनकी मृत्यु से छह मास पूर्व हो जाता है, जब वे युगल को जन्म देते हैं।)
32. (Q. 5) Reverend Sir ! After completing their life-span, where were those human being taking re-birth? ___ [Ans.] When only six months of their life-span is in balance, they give birth to a son and a daughter. They look after them, nourish them and take care of them for 49 days. Later without experiencing any physical ! ailment, diseases or disturbance they die with just a cough, a sneeze or a yawn. Later they take re-birth in heaven and nowhere else. (These yugaliks determine their next life-span six months before their death when they give birth to twins a son and a daughter.)
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द्वितीय वक्षस्कार
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Second Chapter
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