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३१. [प्र. ८ ] अत्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे अरीइ वा, वेरिएइ वा, घायएइ वा, वहएइ फ वा, पडिणीय वा, पच्चामित्तेइ वा ?
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[उ. ] गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे । ववगयवेराणुसया णं ते मणुआ पण्णत्ता समणाउसो ! ३१. [ प्र. ८ ] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में अरि-शत्रु, वैरिक- जातिप्रसूत शत्रुभावयुक्त,
घातक - दूसरे के द्वारा वध करवाने वाले, वधक- स्वयं वध करने वाले अथवा व्यथक- चपेट आदि द्वारा 5 ताड़ित करने वाले, प्रत्यनीक - कार्योपघातक - काम बिगाड़ने वाले तथा प्रत्यमित्र - पहले मित्र होकर बाद में अमित्र - भाव रखने वाले होते हैं ?
[ उ. ] गौतम ! ऐसा नहीं होता। वे मनुष्य वैरानुबन्धरहित होते हैं - वैर करना, उसके फल पर पश्चात्ताप करना इत्यादि भाव उनमें नहीं होते ।
[उ. ] हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुआणं तिब्वे राग- बंधणे समुष्पज्जइ ।
३१. [प्र. ९] भगवन् ! क्या उस समय भरत क्षेत्र में मित्र - वयस्य- समवयस्क साथी, ज्ञातक - प्रगाढ़तर स्नेहयुक्त स्वजातीय जन अथवा सहज परिचित व्यक्ति, संघाटिक- सहचर, सखा - एक साथ खाने-पीने वाले प्रगाढ़तम स्नेहयुक्त मित्र, सुहृद - सब समय साथ देने वाले, हित चाहने वाले, 5 हितकर शिक्षा देने वाले साथी, सांगतिक-साथ रहने वाले मित्र होते हैं ?
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31. [Q.8] Reverend Sir ! Is it a fact that enemies, persons with inimical attitude, person engaging others to kill human beings, persons engaging themselves in killing persons, beating others by fists or by hand, persons spoiling the work of others and persons who were friends earlier but later become enemies do exist in Bharat area at that time?
[Ans.] Gautam ! It is not true. Those human beings are free from any inimical thoughts or attitude. They do not become inimical nor they have to repent later.
३१. [प्र. ९ ] अत्थि णं भंते ! तीसे समाए भरहे वासे मित्ताइ वा, वयंसाइ वा णायएइ वा, संघाडिएइ वा, सहाइ वा, सुहीइ वा, संगएइ वा ?
जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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[उ.] गौतम ! ये सब वहाँ होते हैं, परन्तु उन मनुष्यों का उनमें तीव्र राग-बन्धन उत्पन्न नहीं होता । 31. [Q. 9] Reverend Sir ! Is it a fact that friends, companions of same age, extremely attached relatives or those of easy acquaintance, cooperating persons, friends who live together, companions who always extend help, wish for the welfare and offer friendly advice and those friends who always live together exist in Bharat area at that time? [Ans.] Gautam ! All such type of persons are there but they have no bondage of deep attachment.
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Jambudveep Prajnapti Sutra
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