________________
this
RODRO RODROM
DARBAR
a strong in all the three aspects and many were specially strong in
any one or two of the three. * विविध लब्धिधारी श्रमण
२४. (ख) अप्पेगइया खेलोसहिपत्ता एवं जल्लोसहिपत्ता, विप्पोसहिपत्ता, आमोसहिपत्ता, सव्वोसहिपत्ता। ___ अप्पेगइया कोट्ठबुद्धी एवं बीयबुद्धी, पडबुद्धी। अप्पेगइया पयाणुसारी। अप्पेगइया * संभिन्नसोया, अप्पेगइया खीरासवा, महुआसवा, अप्पेगइया सप्पिआसवा, अप्पेगइया अक्खीणमहाणसिया।
एवं उज्जुमई, अप्पेगइया विउलमई, विउव्वणिडिपत्ता, चारणा, विजाहरा, आगासाइवाईणो।
२४. (ख) कई श्रमण मन से शाप तथा अनुग्रह-वरदान देने या पर-उपकार करने का सामर्थ्य रखते थे, कई वचन द्वारा शाप एवं वरदान देने में सक्षम थे तथा कई शरीर द्वारा अपकार व उपकार करने में समर्थ थे। कई विभिन्न लब्धि-सम्पन्न थे, जैसे
(१) खेलौषधि लब्धि-जिस लब्धि के प्रभाव से साधक का श्लेष्म सुगन्धित एवं के रोगनाशक होता है।
(२) जल्लौषधि लब्धि-जिस लब्धि के प्रभाव से साधक के कान, नाक, आँख, जीभ एवं * शरीर का मैल सुगन्धित एवं रोगनाशक होता है। * (३) विपुडौषधि लब्धि-'विपुड्' का अर्थ है अवयव अर्थात् मूत्र व पुरीष (विष्ठा) के
अवयव। जिस लब्धि के प्रभाव से मूत्र-पुरीष के अवयव सुगन्धित तथा स्व-पर का रोग * शमन करने में समर्थ होते हैं वह विपुडौषधि लब्धि है। * (४) आमर्जेषधि लब्धि-आमर्ष अर्थात् स्पर्श। जिस लब्धि के प्रभाव से लब्धि-सम्पन्न * आत्मा के कर आदि का स्पर्श होने पर स्व और पर के रोग शान्त हो जाते हैं वह आम!षधि
लब्धि कहलाती है।
(५) सर्वौषधि लब्धि-जिस लब्धि के प्रभाव से साधक के मल-मूत्र, श्लेष्म, नाक, कान * आदि का मैल, केश और नख सभी सुगन्धित एवं रोगापहारी होते हैं।
(६) स्मृति सम्बन्धी लब्धियाँ-कई श्रमण भिन्न-भिन्न प्रकार की बुद्धियों के धारक थे, " जैसे-कोष्ठ बुद्धि-कोठी में रखे हुए सुरक्षित अन्न भण्डार की तरह सूत्र एवं अर्थ ज्ञान को
चिरकाल तक ज्यों का त्यों धारण करने में समर्थ, कई बीज बुद्धि-बीज की तरह सूत्र रूप * औपपातिकसूत्र
Aupapatik Sutra
loy.So9.0
Kfix
980580
(58)
RPermoBYToponrHOP
KORKorgoogDEOREPOTEORGEORA
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org