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DE BHAGAVAN'S ARRIVAL IN CHAMPA
22. Then next day when the night ended and the dawn broke, when the blue and other lotuses bloomed beautifully, when the sun rose with its crimson glow like Ashoka and Palash flowers, a parrot's beak and red-half of gunja seed, causing the multitude of 6 lotuses to blossom, and attained brilliance with its thousand rays, Shraman Bhagavan Mahavir (with the group of his ascetic disciples) arrived at Purnabhadra Chaitya in Champa city. Reaching there he took his lodge according to his predetermined
resolve and ascetic code, and settled down enkindling (bhaavit) his * soul with ascetic-discipline and austerities.
भगवान के अन्तेवासी श्रमण 9 २३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी बहवे समणा
भगवंतो अप्पेगइया उग्गपब्बइया, भोगपव्वइया, राइण्ण-णाय-कोरव्यखत्तियपवइया,
भडा, जोहा, सेणावई पसत्थारो, सेट्ठी, इन्भा। * अण्णे य बहवे एवमाइणो उत्तमजाइ-कुल-रूव विणयविण्णाण-वण्ण
लावण्णविक्कम-पहाणसो-भग्गकंतिजुत्ता, बहुधण-धण्ण-णिचय-परियालफिडिया, " णरवइगुणाइरेगा, इच्छियभोगा, सुहसंपललिया किंपागफलोवमं च मुणिय विसय-सोखं
जलबुब्बुयसमाणं, कुसग्गजलबिंदुचंचलं जीवियं य णाऊण अद्भुवमिणं रयमिव पडग्गलग्गं संविधुणित्ताणं चइत्ता हिरण्णं जाव (चिच्चा सुवण्णं, चिच्चा धणं-एवं धण्णं बलं वाहणं कोसं कोडागारं रज्जं रटुं पुरं अन्तेउरं चिच्चा, विउलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तियसंख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणमाइयं संतसारसावतेजं विच्छड्डइत्ता, विगोवइत्ता, दाणं च दाइयाणं परिभायइत्ता, मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं) पवइया।
___ अप्पेगइया अद्धमासपरियाया, अप्पेगइया मासपरियाया-एवं दुमास-तिमास जाव * एक्कारस-मास परियाया, अप्पेगइया वासपरियाया, दुवासपरियाया, तिवासपरियाया " अप्पेगइया अणेगवासपरियाया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणा विहरंति।
२३. उस समय श्रमण भगवान महावीर के अन्तेवासी-(शिष्य) बहुत से श्रमण संयम तथा तप से आत्मा को भावित करते हुए विचरते थे। अर्थात् संयम एवं तप की आराधना a में लीन थे। उनमें अनेक ऐसे थे, जो उग्र-आरक्षक दल के अधिकारी कुल में उत्पन्न हुए
(अथवा आरक्षी वर्ग के थे), अनेक भोग-राजा के मंत्रिमंडल के सदस्य, राजन्य-राजा के * औपपातिकसूत्र
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Aupapatik Sutra
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