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This made it attractive, beautiful, spectacular, enchanting and * mesmerizing. * अशोक वृक्ष का वर्णन
५. तस्स णं वणसंडस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं एक्के असोगवरपायवे पण्णत्तेकुसविकुस-विसुद्ध-रुक्खमूले, मूलमंते, कंदमंते, जाव सुरम्मे, पासादीए, दरिसणिज्जे अभिरूवे, पडिरूवे।
५. उस वनखण्ड के ठीक बीच के भाग में एक विशाल श्रेष्ठ अशोक वृक्ष था। उसकी 2 जड़ें कुश, डाभ तथा दूसरे प्रकार के तृणों से रहित थीं। वह वृक्ष उत्तम मूल, कन्द स्कन्ध * आदि से युक्त था। (सूत्र ४ के वर्णन अनुसार पूरा कथन समझ लेना चाहिए)। वह अतीव रमणीय, सुखप्रद-चित्त को प्रसन्न करने वाला, दर्शनीय-अभिरूप-प्रतिरूप अर्थात् असाधारण सुन्दरता से युक्त था। DESCRIPTION OF THE ASHOKA TREE
5. Exactly at the center of the forest there was a huge and beautiful Ashoka tree. The ground where it stood was free of any weeds and grass like kush and darbh. It had roots, bulbous roots etc. (details same as aphorism 4-) This made it attractive, beautiful, spectacular, enchanting and mesmerizing.
६. से णं असोगवरपायवे अण्णेहिं बहहिं तिलएहिं, लउएहिं, छत्तोवेहिं, सिरीसेहिं, सत्तवण्णेहिं, दहिवण्णेहिं, लोद्धेहिं, धवेहिं, चंदणेहिं, अज्जुणेहिं, णीवेहिं, कुडएहिं, * कलंबेहिं, सव्वेहिं, फणसेहिं, दालिमेहिं, सालेहि, तालेहि, तमालेहिं, पियएहिं, पियंगूहिं, पुरोवगेहिं, रायरुक्खेहि, णंदिरुक्खेहिं, सवओ समंता संपरिक्खित्ते।
६. वह उत्तम अशोक वृक्ष अनेक प्रकार के वृक्षों से घिरा हुआ था। उन वृक्षों के नाम इस प्रकार हैं-तिलक, लकुच, क्षत्रोप, शिरीष, सप्तपर्ण, दधिपर्ण, लोध्र, धव, चन्दन, अर्जुन, नीम, कुटज, कदम्ब, सव्य, पनस, दाडिम, शाल, ताल, तमाल, प्रियक, प्रियंगु, पुरोपग, राजवृक्ष, नन्दिवृक्ष-इस प्रकार अनेक वृक्षों से परिवेष्टित बहुत ही सुरम्य प्रतीत होता था।
6. That excellent Ashoka tree was surrounded by many other trees, namely-Tilak, Lakuch, Kshatrop, Shirish, Saptaparna,
Dadhiparna, Lodhra, Dhav, Chandan, Arjun, Neem, Kutaj, * Kadamb, Savya, Panas, Dadim, Shaal, Taal, Tamal, Priyak,
Priyangu, Puropag, Rajavriksh and Nandivriksh. Surrounded by all these trees it appeared delightful.
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औपपातिकसूत्र
(18)
Aupapatik Sutra
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