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होता है। वहाँ सभी योगों-क्रियाओं का निरोध हो जाता है। आत्म-प्रदेशों में जब सब प्रकार का कम्पन-परिस्पन्दन बन्द हो जाता है उसे समुच्छिन्नक्रिय - अनिवृत्ति शुक्लध्यान कहा जाता है । इसका काल अ, इ, उ, ऋ, लृ-पाँच हस्व स्वरों को मध्यम गति से उच्चारण करने में जितना समय लगता है, उतना ही है । इस ध्यान के द्वारा अवशेष चार अघाति कर्म - वेदनीय, नाम, गोत्र तथा आयु भी नष्ट हो जाते हैं। यह ध्यान मोक्ष का साक्षात् कारण है ।
शुक्लध्यान के चार लक्षण इस प्रकार हैं- (क) विवेक - देह से आत्मा की भिन्नता / पृथक्ता की प्रतीति, (ख) व्युत्सर्ग- अनासक्तिपूर्वक शरीर तथा उपकरणों का उत्सर्ग-त्याग, (ग) अव्यथा - देव, पिशाच आदि द्वारा कृत उपसर्ग से विचलित नहीं होना, (घ) असंमोह - देव आदि द्वारा रचित मायाजाल में तथा सूक्ष्म विषयों में संमूढ या विभ्रान्त नहीं होना ।
शुक्लध्यान के चार आलम्बन कहे गये हैं, वे इस प्रकार हैं - (क) क्षान्ति - क्षमाशीलता, सहनशीलता, (ख) मुक्ति-लोभ आदि के बन्धन से उन्मुक्तता, (ग) आर्जव - - ऋजुता - सरलता, निष्कपटता, (घ) मार्दव - मृदुता - कोमलता, निरभिमानिता ।
शुक्लध्यान की चार अनुप्रेक्षाएँ (भावनाएँ) इस प्रकार हैं - (क) अपायानुप्रेक्षा - आस्रव रूप अपायों द्वारा उपार्जित दुःखद स्थितियों का बारम्बार चिन्तन करना, (ख) अशुभानुप्रेक्षासंसार के अशुभ- अप्रशस्त स्वरूप का बार - बार चिन्तन करना, (ग) अनन्तवृत्तितानुप्रेक्षाभवभ्रमण या अनन्त काल तक चलते रहने की वृत्ति- - स्वभाव पर पुनः - पुनः चिन्तन करना, (घ) विपरिणामानुप्रेक्षा - जगत् की क्षण-क्षण परिवर्तित होती वस्तु-स्थिति पर - बार - बार चिन्तन करना । यह ध्यान तप का स्वरूप है।
(5) DHYAN TAP
30. (m) What is this Dhyan tap ?
Dhyan tap (meditation, concentration and restraint of feelings and attitudes) is of four types-(i) Arta-dhyan-Grievous thoughts or agitated state of mind caused by gain and loss of coveted things and conditions, (ii) Raudra-dhyan-Cruel thoughts inspired and animated by violent sentiments, (iii) Dharma-dhyan-Virtuous meditation or pious thinking inspired and enhanced by religious sentiments, (iv) Shukla-dhyan-Pure meditation or noble and spiritual thinking. (The elaboration of these four types of dhyan follows.)
(i) Artadhyan (grievous thoughts) is of four types(a) Amanojna-Deep desire to be rid of detestable and adverse समवसरण अधिकार
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