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(३) वैयावृत्य तप
३०. (ट) से किं तं वेयावच्चे ?
वेयावच्चे दसविहे पण्णत्ते। तं जहा–१. आयरियवेयावच्चे, २. उवज्झायवेयावच्चे, ३. सेहवेयावच्चे, ४. गिलाणवेयावच्चे, ५. तवस्सिवेयावच्चे, ६. थेरवेयावच्चे,
७. साहम्मियवेयावच्चे, ८. कुलवेयावच्चे, ९. गणवेयावच्चे, १०. संघवेयावच्चे। * से तं वेयावच्चे।
३०. (ट) वैयावृत्य का स्वरूप क्या है-कितने भेद हैं ? (आहार, औषध आदि द्वारा सेवा-परिचर्या रूप) वैयावृत्य के दस भेद इस प्रकार हैं(१) आचार्य का वैयावृत्य, (२) उपाध्याय का वैयावृत्य, (३) शैक्ष-नवदीक्षित श्रमण का वैयावृत्य, (४) ग्लान-रोग आदि से पीड़ित का वैयावृत्य, (५) तपस्वी-तेला आदि तप
निरत का वैयावृत्य, (६) स्थविर का वैयावृत्य, (७) साधर्मिक (समान धर्म वालों) का * वैयावृत्य, (८) कुल-(एक आचार्य के शिष्यों) का वैयावृत्य, (९) गण-(गच्छ) का वैयावृत्य,
(१०) संघ का वैयावृत्य। यह वैयावृत्य का स्वरूप है। (3) VAIYAVRITYA TAP
30. (k) What is this Vaiyavritya tap ?
Vaiyavritya tap (to offer food and other services to fellow ascetics and seniors) is of ten kinds—To offer food and other services to * (1) Acharyas, (2) Upadhyayas, (3) Shaiksh or new initiates, (4) Glan ** or ailing ascetics, (5) Tapasvi or ascetics observing austerities,
(6) Sthavirs or ascetics senior in terms of knowledge, initiation and magage, (7) Sadharmik or co-religionists, (8) Kula (ascetic family or
disciples of the same Acharya), (9) Gana (ascetic group), and (10) Sangh (religious organization). This concludes the description of Vaiyavritya tap. (४) स्वाध्याय तप
३०. (ठ) से किं तं सज्झाए ?
सज्झाए पंचविहे पण्णत्ते। तं जहा–१. वायणा, २ पडिपुच्छणा, ३. परियट्टणा, ४. अणुप्पेहा, ५. धम्मकहा। से तं सज्झाए।
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समवसरण अधिकार
(107)
Samavasaran Adhikar
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RAASHAgarwasanapa AASANAHARTING
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