________________
9555555555555555555555555555555550
| चित्र-परिचय 2
Illustration No. 2 नारकों को दिये जाने वाले लोमहर्षक दुःख
हिंसा के फलस्वरूप जीव को नरक गति में अनेक भंयकर कष्ट सहने पड़ते हैं, इस योनि में उत्पन्न होने वाले प्राणी जन्म से लेकर मरण तक सतत् ही तीव्र वेदना भोगते रहते हैं। नरक की वेदना का मात्र दिग्दर्शन करने से ही हृदय काँपने लगता है, रोम खड़े हो जाते हैं तो इनको भोगने पर कितना कष्ट होता होगा? नरक में उत्पन्न जीव तीन प्रकार की वेदनायें भोगते हैं
(1) क्षेत्र जनित वेदना-यह दस प्रकार की होती है-(1) अत्यन्त शीत, (2) अत्यन्त उष्ण, (3) अति क्षुधा, (4) अत्यन्त तृष्णा, (5) घोर खुजली, (6) पराधीनता, (7) सतत उग्र ज्वर, (8) अत्यन्त ज दाह, (9) शोक, (10) भय।
(2) परमाधर्मी (यम पुरुषों द्वारा दी गई) वेदना-15 प्रकार के परमाधर्मी (असुर जाति के) देव 卐 हँसी, खेल, मनोरंजन के निमित्त नरक में उत्पन्न जीवों को भयंकर यातनाएँ देते हैं। उन्हें भाड़ की तरह
गरम बालू पर भूजते हैं। शरीर के टुकड़े-टुकड़े कर देते हैं और लोहे की कड़ाहियों में ईख के रस के ऊ समान औटाते हैं। यह यम पुरुष केवल तीसरे नरक तक ही होते हैं!
(3) परस्परोदीरित वेदना-परस्परोदीरित वेदना दो प्रकार की हैं- परस्पर शरीर से दी जाने वाली, ॐ शस्त्रादि प्रहारों से। ये नारकीय जीव परस्पर वैक्रिय लब्धी द्वारा सिंह, बाघ आदि का रूप बनाकर एक-दूसरे को चीर-फाड़ देते हैं।
-सूत्र 25, पृ. 46 BITTER FRUITS OF VIOLENCE IN INFERNAL WORLD
As a consequence of violence a living being takes birth in hell and suffers many terrible torments. Living beings born in this genus continue to suffer acute pain throughout its life. Even imagination of the tortures of hell is heart rending, what to say of the actual suffering? Infernal beings suffer three types of pain -
(1) Area generated pain - It is of ten types - (1) extreme cold, (2) extreme heat, (3) extreme hunger, (4) extreme thirst, (5) extreme itching, (6) slavery, (7) persistent high fever, (8) extreme burning sensation, (9) melancholy, and (10) fear.
(2) Pain caused by Paramadhami gods - These divine beings of Asur class are of 15 types. They cause extreme torment to infernal beings just for their joy and entertainment. They roast these beings in hot sand. They cut their bodies into small pieces and boil them in iron cauldrons just like cane juice. These attendants of the god of death (Yama) are active only up to the third hell.
(3) Mutually caused pain - This is of two types -- bodily caused and caused through weapons. These infernal beings take the form of ferocious animals including lion and tiger through their natural power of transmutation and indulge in tearing apart each other.
- Sutra-25. page-46 05555555555555555555555555550
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org