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15. Violence to fire-bodied living beings is caused for cooking, lighting the lamp and for light.
वायुकाय की हिंसा के कारण CAUSES OF VIOLENCE TO AIR-BODIED LIVING BEINGS
१६. सुप्प - वियण - तालयंट - पेहुण - मुह - करयल - सागपत्त-वत्थमाईएहिं अणिलं हिंसंति ।
१६. सूप - धान्यादि फटककर साफ करने का छाज आदि उपकरण, व्यंजन- पंखा, तालवृन्त-ताड़ का पंखा, मयूरपंख आदि से, मुख से, हथेलियों से, सागवान आदि के पत्ते से तथा वस्त्र - खण्ड आदि से वायुकाय के जीवों की हिंसा की जाती है।
१७. अगार - परियार-भक्ख - भोयण - सयणासण - फलक - मूसल - उक्खल - तत - विततातोज्जवहण - वाहण - मंडव - विविह भवण - तोरण- विडंग - देवकुल- जालयद्धचंद - णिज्जूहग- चंदसालियवेतिय- णिस्सेणि- दोणि- चंगेरी - खील - मंडक - सभा - पवावसह - गंध - मल्लाणुलेवणं, अंबर - जुयणंगलमइय - कुलिय - संदण - सीया - रह - सगड - जाण - जोग्ग - अट्टालग - चरिय - दार - गोउर-फलिहा - जंतसूलिय-लउड - मुसंदि - सयग्घी - बहुपहरणावरणुवक्खराणकए, अण्णेहिं य एवमाइएहिं बहूहिं
5 कारणसएहिं हिंसंति ते तरुगणे भणियाभणिए य एवमाई ।
16. The violence to air-bodied living beings is caused through planks 5 for cleaning grains, fan, fan of palm leaves, peacock feather and also blowing with mouth, waving palms, teak leaves and pieces of cloth. वनस्पतिकाय की हिंसा के कारण CAUSES OF VIOLENCE TO PLANT BODIED BEINGS
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
१७. अगार-गृह, परिचार- तलवार की म्यान आदि, भक्ष्य - मोदक आदि, भोजन - रोटी वगैरह, शयन - शय्या आदि, आसन- बिस्तर-बैठका आदि, फलक-पाट-पाटिया, मूसल, ओखली, तत- वीणा 5 आदि, वितत - ढोल आदि, आतोद्य-अनेक प्रकार के वाद्य, वहन- नौका आदि, वाहन-रथ- गाड़ी आदि, मण्डप, अनेक प्रकार के भवन, तोरण, कपोतपाली - कबूतरों के बैठने के स्थान, देवालय, झरोखा, अर्ध-चन्द्र के आकार की खिड़की या सोपान, निर्यूहक-द्वारशाखा दरवाजे के अगल-बगल में निकले हुए लकड़ी के कंगूरे, चन्द्रशाला - अटारी, चौबारा, वेदी, निःसरणी - नसैनी, द्रोणी-छोटी नौका, चंगेरी-बड़ी नौका या फूलों की डलिया, खूँटी, खम्भा, सभागार, प्याऊ, आश्रम, मठ, सुगंधित चूर्ण, फ्र माला, विलेपन, चन्दन आदि का लेप वस्त्र, जूवा, लांगल- हल, जमीन जोतने के पश्चात् ढेला फोड़ने के 5 लिए काष्ठ - निर्मित औजार, जिससे भूमि समतल की जाती है, कुलिक - विशेष प्रकार का हल - बखर, स्यन्दन - युद्ध रथ, शिविका - पालकी, रथ, शकट - छकड़ा गाड़ी, यान, युग्य-दो हाथ का वेदिकायुक्त यानविशेष, अट्टालिका, चरिका- नगर और परकोटे के मध्य का आठ हाथ का चौड़ा मार्ग, परिघ - फाटक, आगल, अरहट आदि, शूली, लकड़ी - लाठी, मुसुंढी बंदूक आदि, शतघ्नी - तोप या महासिला जिससे सैकड़ों का हनन हो सके तथा अनेकानेक प्रकार के शस्त्र, ढक्कन एवं अन्य उपकरण बनाने के लिए और इसी प्रकार के ऊपर कहे गये तथा नहीं कहे गये ऐसे बहुत-से सैकड़ों कारणों से अज्ञानी जन वनस्पतिकाय की हिंसा करते हैं।
-द्वार,
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Shri Prashna Vyakaran Sutra
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