________________
5555555555555555555555555555555555558
05555555555555555555555555555555558
of non-vegetarian diet in the present world. They are of the view that
murders, violent activities, incurable diseases, pollution of the 41 environment in the world is on the increase because of non- 15
vegetarianism. Many new incurable diseases are appearing in those who take meat. The medicines to cure such diseases could not be found as yet. Millions of people die every year due to diseases caused by consumption of meat. Non-vegetarianism is the fundamental cause of increasing shortage of water, air pollution, increasing tension and mutual friction among the human beings. Information in plenty is published at present about vegetarian and non-vegetarian diet. So it need not be described in greater detail here.
Similarly various types of living beings are humbled for their marrow, blood, liver, lung, intestines, teeth, bones, tusk and the like. Just for their luxurious life, the poor, dumb creatures who also feel pleasure and pain like human beings, who are incapable of protecting themselves from such a cruelty, and who have not committed any sin are killed. It depicts
that such killers have no compassion and their inner nature is demon$i like. The use of such products manufactured through violence to animals 4. can in no way be justified for a discriminating human being. ॐ १२. अण्णेहि य एवमाइएहिं बहूहि कारणसएहिं अबुहा इह हिंसंति तसे पाणे। इमे य-एगिदिए के बहवे वराए तसे य अण्णे तयस्सिए चेव तणुसरीरे समारंभंति। ___ अत्ताणे, असरणे, अणाहे, अबंधवे, कम्मणिगडबढे, अकुसलपरिणाम-मंदबुद्धिजणदुबिजाणए,
पुढविमए, पुढविसंसिए, जलमए, जलगए, अणलाणिल-तण-वणस्सइगणणिस्सिए य तम्मयतज्जिए चेव तयाहारे।
तप्परिणय-वण्ण-गंध-रस-फास-बोंदिरूवे अचक्खुसे चक्खुसे य तसकाइए असंखे। थावरकाए य + सुहुम-बायर-पत्तेय-सरीरणामसाहारणे अणंते हणंति अविजाणओ य परिजाणओ य जीवे इमेहिं
विविहेहिं कारणेहिं। 卐 १२. जिनमें सद्बुद्धि का अभाव है, ऐसे अज्ञानी पापी लोग पूर्वोक्त तथा अन्य अनेकानेक प्रयोजनों के
से त्रस-चलते-फिरते, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय जीवों का घात करते हैं तथा बहुतऊ से एकेन्द्रिय जीवों का, उन एकेन्द्रिय जीवों के आश्रित अन्य सूक्ष्म शरीर वाले त्रस जीवों का भी घात ॥ करते हैं।
ये प्राणी त्राणरहित हैं-उनके पास अपनी रक्षा के साधन नहीं हैं, अशरण हैं-उन्हें कोई शरण देने ॥ 卐 वाला नहीं है, वे अनाथ हैं, बन्धु-बान्धवों से रहित हैं-सहायक विहीन हैं और बेचारे अपने कृत कर्मों
की बेड़ियों से जकड़े हुए हैं। जिनके अन्तःकरण की वृत्तियाँ अशुभ हैं, जो मन्द बुद्धि हैं, वे इन प्राणियों -
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(24)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org