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such living beings and the immobile living beings have not been described. It relates to only five-sensed living beings.
All the living beings have a keen desire to live. But Vikalendriya and five-sensed animals cannot express their feelings clearly because they do not have a distinct power of expressing it through words. Further they are not as capable of safe-guarding themselves as human beings. Selfish, cruel persons kill them for various needs and the same has been expressed in the Sutras ahead.
हिंसा करने के प्रयोजन PURPOSE OF CAUSING VIOLENCE
११. इमेहिं विविहेहिं कारणेहिं, किं ते ?
११. चमड़ा, चर्बी, माँस, मेद, रक्त, यकृत, फेफड़ा, भेजा, हृदय, आँत, पित्ताशय, फोफस- शरीर का एक विशिष्ट अवयव (फुप्फुस ), दाँत, अस्थि- हड्डी, मज्जा, नाखून, नेत्र, कान, स्नायु, नाक, धमनी, सींग, दाढ़, पिच्छ, विष, विषाण- हाथीदाँत तथा शूकरदंत और बालों के लिए (हिंसक प्राणी जीवों की हिंसा करते हैं) ।
चम्म - वसा - मंस - मेय-सोणिय - जग - फिम्फिस-मत्थुलुंग - हिय-यंत- पित्त- फोफस- दंतट्ठाअट्टि - मिंज - ह - णयण - कण्ण - ण्हारुणि - णक्क - धमणि - सिंग- दाढि - पिच्छ - विस-विसाण - वालहेउं । हिंसंति य भमर - महुकरिगणे रसेसु गिद्धा तहेव तेइंदिए सरीरोवगरणट्टयाए किवणे बेइंदिए बहवे वत्थोहर परिमंडणट्ठा ।
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रस में आसक्त मनुष्य मधु के लिए भ्रमर - मधुमक्खियों का हनन करते हैं, शारीरिक सुख या
दुःख - निवारण करने के लिए खटमल आदि त्रीन्द्रिय जीवों का वध करते हैं, (रेशमी) वस्त्रों के लिए 5
अनेक प्रकार के द्वीन्द्रिय कीड़ों आदि का घात करते हैं।
卐 The human beings deeply attached to honey are violent to the bees. They kill bugs for their physical comfort or to avoid pain. In order to procure silk, they kill two-sensed silk worms and other worms of various
types.
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卐 11. The violent human beings hunt the living beings for their skin, fat, 5
5 marrow, meat, blood, lungs, brain, heart, nerves, teeth, bones, nails, Heyes, ears, intestine, nose, horn, molars, flock of hair, poison, tusk and 5 hair.
विवेचन : अनेक प्रकार के वाद्यों, जूतों, बटुवा, घड़ी के पट्टे, कमरपट्टे, सन्दूक, बैग, थैला, टोपियाँ, कोट, कपड़े आदि भिन्न-भिन्न प्रयोजनों के लिए पंचेन्द्रिय जीवों का वध किया जाता है, क्योंकि इन वस्तुओं के लिए मुलायम चमड़ा चाहिए और वह स्वाभाविक रूप से मृत पशुओं से प्राप्त नहीं होता। स्वाभाविक रूप से मृत पशुओं की चमड़ी अपेक्षाकृत कड़ी होती है । अत्यन्त मुलायम चमड़े के लिए तो विशेषतः छोटे बच्चों या गर्भस्थ
श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
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Shri Prashna Vyakaran Sutra
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