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म (२३) सूने घर के समान अप्रतिकर्म, अर्थात् जैसे सुनसान पड़े घर को कोई सजाता-सँवारता नहीं,
उसी प्रकार शरीर की साज-सज्जा से रहित। 卐 (२४) वायुरहित घर में स्थित दीपक की तरह अकम्पित विविध उपसर्ग होने पर भी शुभ ध्यान में निश्चल रहने वाला।
(२५) उस्तरे की तरह एक धार वाला, अर्थात् एक उत्सर्ग-मार्ग में ही प्रवृत्ति करने वाला। + (२६) सर्प के समान एक दृष्टि वाला, अर्थात् सर्प जैसे अपने लक्ष्य पर ही नजर रखता है, उसी प्रकार मोक्षसाधना की ओर ही एकमात्र दृष्टि रखने वाला।
(२७) आकाश के समान आलम्बन रहित-स्वावलम्बी।
(२८) पक्षी की तरह सर्वथा विमुक्त। सब प्रकार के परिग्रह से मुक्त। __(२९) सर्प के समान दूसरों के बनाए हुये स्थान में रहने वाला।
(३०) वायु की तरह-द्रव्य-क्षेत्र-काल-भाव के प्रतिबन्ध से मुक्त।
(३१) मुक्त जीव के समान बेरोकटोक (अप्रतिहत) गति वाला अर्थात् स्वेच्छापूर्वक यत्र-तत्र विचरण करने वाला। 卐 विवेचन : उपरोक्त उपमाओं के द्वारा द्रव्य और भाव परिग्रह से रहित निग्रन्थ श्रमणों के उदात्त चरित्र का
वर्णन किया है। इनमें साधुजीवन की विशिष्टता, उज्ज्वलता, संयम के प्रति निश्चलता, स्वावलम्बित, अप्रमत्तता,
स्थिरता, लक्ष्य के प्रति निरन्तर सजगता, आन्तरिक शुचिता, देह के प्रति अनासक्तता, संयम निर्वाह सम्बन्धी 卐 क्षमता आदि का प्रतिपादन किया गया है।
____163. The greatness of an ascetic is depicted through the comparative $i illustrations given below
(1) An extremely clean bronze vessel is totally free from effects of water. Similarly a monk is free from bondage of attachment and the like.
(2) A conch shell is free from dirt, similarly a monk is free from dirt of attachment, hatred and delusion.
(3) A monk keeps his senses under control like a tortoise. (4) A monk is pure like gold in self-purification. (5) A monk is free from any Karmic paste like a lotus leaf. (6) A monk is like a moon due to his quiet nature. (7) A monk shines like the sun due to his austerities. (8) A monk is unmoved in troubles like Meru mountain.
(9) A monk is free from tribulation like a sea. श्रु.२, पंचम अध्ययन : परिग्रहत्याग संवर
(4139 Sh.2, Fifth Chapter: Discar... Samvar
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