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5 अपरिग्रह संवर का स्वरूप धर्म-वृक्ष की उपमा DHARMA TREE
१५५. जो सो वीरवर-वयण-विरइ-पवित्थरबहुविहप्पयारो सम्मत्त-विसुद्धमूलो धिइकंदो , म विणयवेइओ णिग्गय-तेल्लोक्क-विउलजस-णिविड-पीण-पवरसुजायखंधो पंचमहव्वय-विसालसालो
भावणतयंत-ज्झाण-सुहजोग-णाणपल्लववरंकुरधरो बहुगुणकुसुमसमिद्धो सील-सुगंधो अणण्हवफलो म पुणो य मोक्खवरबीजसारो मंदगिरि-सिहर-चूलिआ इव इमस्स मोक्खवर-मुत्तिमग्गस्स सिहरभूओ संवरवर-पायवो चरिमं संवरदारं ।
१५५. श्री भगवान महावीर के वचनों से कही हुई अनेक प्रकार से परिग्रह निवृत्ति ही उस अपरिग्रह वृक्ष का विस्तार फैलाव है। यह आगे कहा जाने वाला जो अन्तिम परिग्रह विरति अपरिग्रह 卐 वृत्तिरूप संवरद्वार का संवर श्रेष्ठ वृक्ष है। सम्यग्दर्शन इसका विशुद्ध-निर्दोष मूल है। धृति-चित्त की
स्थिरता इसका कन्द यानि स्कन्ध से नीचे का भाग है। विनय ही इसकी वेदिका-चारों ओर का परिकर है। तीनों लोकों में फैला हुआ विपुल यश इसका घना, स्थूल, महान् और सुनिर्मित स्कन्ध (तना) है। पाँच महाव्रत इसकी विशाल शाखाएँ हैं। अनित्यता, अशरणता आदि भावनाएँ इस संवर वृक्ष की त्वचा
है तथा वह धर्मध्यान, शुभयोग तथा ज्ञानरूपी अंकुरों को धारण करने वाला है। निर्लोभता आदि ॐ शुभफल प्रद अनेक गुणों रूपी फूलों से यह समृद्ध है। यह शील की सुगन्ध से युक्त है और यह सुगन्ध + इह लौकिक फलनिरपेक्ष सदाचार या सत्प्रवृत्ति रूप है। यह संवरवृक्ष अनास्रव-कर्मास्रव के निरोधरूप
फलों वाला है। मोक्ष ही इसका उत्तम बीजसार-मीजी है। यह मेरु पर्वत के शिखर पर चूलिका के समान है म मोक्ष-कर्मक्षय के निर्लोभतास्वरूप मार्ग का शिखर है। इस प्रकार का अपरिग्रह रूप उत्तम संवरद्वाररूपी जो वृक्ष है, वह अन्तिम संवरद्वार है।।
155. Bhagavan Mahavir has narrated in detail in this order that one * 41 should discard his attachment to worldly possessions. This is that tree 46
what stops inflow of Karma (Samvar tree). This is the last gateway of Samvar and is in many forms (as mentioned earlier). Right faith is its
pure faultless base. Perseverance or stability of the mind is its Kand (off卐 shoot). Humility is its girth. The immense respect and fame is thick, 4
grand, well-built trunk. Five major vows are its large branches, sentiments like transitory nature is the skin of this samvar tree. It contains buds in the form of meditation on dharma, meritorious
activities and scriptural knowledge. It is full of innumerable special $i qualities. It has the fragrance of chastity. Since that fragrance is free 4
from immediate or expected reward, it is a good conduct. This Samvar tree has fruits in the form of stoppage of inflow of Karmas. The essence of its seed is liberation. Just as there is the Chulika at the tap of Meru mountain, it has the top climax of the path of non-greediness. Thus the last gateway of Samvar tree is non-attachment for possessions.
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195555)
| श्रु.२, पंचम अध्ययन : परिग्रहत्याग संवर ।
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Sh.2, Fifth Chapter: Discar... Samvar
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