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२. संक्षेप विवक्षा से बन्धन दो प्रकार के हैं-(१) रागबन्धन और (२) द्वेषबन्धन। ॐ ३. मन-वचन-काया के भेद से दण्ड तीन हैं-(१) मनोदण्ड, (२) वचनदण्ड, (३) कायदण्ड। ! क गौरव तीन हैं-(१) ऋद्धिगौरव, (२) रसगौरव, (३) सातागौरव। गुप्ति तीन प्रकार की हैं
(१) मनोगुप्ति, (२) वचनगुप्ति, (३) कायगुप्ति। विराधना तीन प्रकार की है-(१) ज्ञान की, (२) दर्शन 5 की, और (३) चारित्र की। ॐ ४. कषाय चार हैं-(१) क्रोध, (२) मान, (३) माया, (४) लोभ। ध्यान चार हैं-(१) आर्त्त,
(२) रौद्र, (३) धर्म और (४) शुक्ल। संज्ञा चार प्रकार की हैं-(१) आहारसंज्ञा, (२) भयसंज्ञा, (३) मैथुनसंज्ञा, (४) परिग्रहसंज्ञा। विकथा चार प्रकार की है-(१) स्त्रीकथा, (२) भोजनकथा, (३) राजकथा, (४) देशकथा।
५. क्रियाएँ पाँच हैं-(१) कायिकी, (२) आधिकरणिकी, (३) प्राद्वेषिकी, (४) पारितापनिकी, (५) प्राणातिपातिकी। समितियाँ पाँच हैं-(१) ईर्यासमिति, (२) भाषासमिति, (३) एषणासमिति, (४) आदान-निक्षेपणसमिति, (५) परिष्ठापनिकासमिति। इन्द्रियाँ पाँच हैं-(१) स्पर्शनेन्द्रिय,
(२) रसनेन्द्रिय, (३) घ्राणेन्द्रिय, (४) चक्षुरिन्द्रिय (५) श्रोत्रेन्द्रिय। महाव्रत पाँच हैं-(१) अहिंसामहाव्रत, 卐 २) सत्यमहाव्रत, (३) अस्तेयमहाव्रत, (४) ब्रह्मचर्यमहाव्रत, (५) अपरिग्रह महाव्रत
६. जीवनिकाय अर्थात् संसारी जीवों के छह समूह-वर्ग हैं-(१) पृथ्वीकाय, (२) अप्काय, 9 (३) तेजस्काय, (४) वायुकाय, (५) वनस्पतिकाय, (६) त्रसकाय। लेश्याएँ छह हैं-(१) कृष्णलेश्या, (२) नीललेश्या, (३) कापोतलेश्या, (४) तेजोलेश्या, (५) पद्मलेश्या, (६) शुक्ललेश्या।
७. भय सात प्रकार के हैं-(१) इहलोकभय, (२) परलोकभय, (३) आदानभय, ॐ (४) अकस्मात्भय, (५) आजीविकाभय, (६) अपयशभय, (७) मृत्युभय।
८. मद आठ हैं-(१) जातिमद, (२) कुलमद, (३) बलमद, (४) रूपमद, (५) तपमद, + (६) लाभमद, (७) श्रुतमद, (८) ऐश्वर्यमद।
९. ब्रह्मचर्य की नौ गुप्तियाँ हैं-(१) विविक्तशयनासनसेवन, (२) स्त्रीकथावर्जन, (३) स्त्रीयुक्त । आसन का परिहार, (४) स्त्री के रूपादि के दर्शन का त्याग, (५) स्त्रियों को श्रृंगारमय, करुण तथा
हास्य आदि सम्बन्धी शब्दों के श्रवण का परिवर्जन, (६) पूर्वकाल में भोगे हुए भोगों के स्मरण का क वर्जन, (७) इन्द्रिय दर्पकारक स्वादिष्ट गरिष्ठ पदार्थों का सेवन न करना, (८) अति मात्रा में आहार का ! त्याग, और (९) शरीर को विभूषित न करना।
१०. श्रमणधर्म दस हैं-(१) खंति-क्षमा, (२) मुक्ति-निर्लोभता, (३) आर्जव-निष्कपटता-ऋजुता, (४) मार्दव-मृदुता-नम्रता, (५) लाघव-उपधि की अल्पता, (६) सत्य, (७) संयम, (८) तप, . (९) त्याग, और (१०) ब्रह्मचर्य।
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
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