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इस गाथा में यह भी स्पष्ट किया गया है कि ब्रह्मचर्य का निर्मल रूप से पालन करने वाला सिद्धि प्राप्त करता ! है। यदि उसके कर्म कुछ अवशेष रह गये हों तो वह वैमानिक देवों में उत्पन्न होता है।
Elaboration–Tirthankars have stated the methods for properly practicing the vow of chastity. Those methods are guptis and others. They include nine prohibitions. In their absence brahmcharya cannot be practiced. (For details of nine Guptis see chapter-9 of Sthananga Sutra and chapter 16 of Uttradhyayan Sutra).
It is clearly stated in this aphorism that one who practices faultlessly chastity, he can attain salvation. In case some Karmas are still in existence, he takes birth among heavenly celestial beings. १४५. देव-णरिंद-णमंसियपूर्य, सव्वजगुत्तममंगलमगं।
दुरिसं गुणणायगमेक्कं, मोक्खपहस्स वडिंसगभूयं ॥ ३॥ १४५. देवेन्द्रों और नरेन्द्रों के द्वारा जो नमस्कृत हैं, अर्थात् देवेन्द्र और नरेन्द्र जिनको नमस्कार करते हैं, उन महापुरुषों के लिए भी ब्रह्मचर्य पूजनीय है। जगत् के सब मंगल कार्यों का यह मार्ग रूप है। फ़ कोई इसका पराभव नहीं कर सकता या इसका पराभव करना दुष्कर है। यह सभी गुणों का एकमात्र नायक है और मोक्ष मार्ग के लिये मस्तक के मुकुट के समान है।
145. Persons to whom kings of gods and those of human beings bow, they too worship chastity. It is the primary path to everything auspicious in the world. Nobody can reduce its importance. It is very difficult. It is
unique among all the virtues. It is like crown among methods of 5 salvation. फ विवेचन : देवेन्द्र-नरेन्द्र आदि गणधरों की पूजा करते हैं और गणधर आदि महापुरुष ब्रह्मचर्य की अर्चना ! 5 करते हैं, अतः ब्रह्मचर्य पूज्यों का भी पूज्य है। ब्रह्मचर्य को सब मंगलों का उपाय बताया गया है। तात्पर्य यह है ,
मंगल का अर्थ है : मं – पाप को, गलं – गलाने वाला अथवा मंग - सुख को, लं - देने वाला। संसार में अर्हत् । 9 भक्ति आदि जितने भी मंगल कार्य हैं उन सबका मार्ग ब्रह्मचर्य है।
Kings of gods and those of humans worship Ganadhars and they in y 4 turn worship Bramacharya. Thus it is revered by the revered. It is said y 41 to be the instrument of all that is auspicious (Mangal). The word Mangal
is derived two ways-Man means sin and galam means that which eats
up. And mang means happiness and lam means that which endows. 4 Thus Brahmacharya is instrumental in all the auspicious deeds
including worship of Arhat.
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श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र
(360)
Shri Prashna Vyakaran Sutra
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