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(9) Maya-To collect alms in a deceitful manner.
10) Lobh-To be greedy for food, to decide greedily about specific food before going for alms and to wander about if that food is not available.
____ (11) Poorva-Pashchat-Sanstav-To appreciate the doner before or + 4 after he offers.
___ (12) Vidya-To collect food by using some art or skill. ___(13) Mantra-To collect food by reciting some mantra.
___ (14) Churna-To collect alms by using some powder or coryllium that 卐 makes one invisible.
(15) Yoga-To collect alms by applying some paste on foot and showing that he has attained super powers.
(16) Moolakarm-To collect alms by telling methods of having 4 conception or abortion which are causes of sin.
A monk practicing non-violence avoids such faults. The detailed description of various faults concerning food and the ways of collecting
food is available in Chapter 5 of Dashavaikalik Sutra and first Chapter 4 of Acharanga Sutra Part-II.
१११. ण वि हीलणाए, ण वि शिंदणाए, ण वि गरहणाए, ण वि हीलण-णिंदण-गरहणाए भिक्खं गवेसियव्वं । ण वि भेसणाए, ण वि तज्जणाए, ण वि तालणाए, ण वि भेसण-तज्जण-तालणाए भिक्खं
गवेसियव्यं। ण वि गारवेणं, ण वि कुहणयाए, ण वि वणीमयाए, ण वि गारव-कुहण-वणीमयाए भिक्खं 卐 गवेसियव्वं। ____ण वि मित्तयाए, ण वि पत्थणाए, ण वि सेवणाए, ण वि मित्त-पत्थण-सेवणाए भिक्खं गवेसियव्वं ।
अण्णाए अगढिए अदुट्टे अदीणे अविमणे अकलुणे अविसाई अपरितंतजोगी जयणघडणकरणचरियविणयगुणजोगसंपउत्ते भिक्खू भिक्खेसणाए णिरए।
१११. (शुद्ध निर्दोष भिक्षा की एषणा करने वाले श्रमण को) न तो गृहस्थ की हीलना करके-जाति । आदि के आधार पर बदनामी करके, न दाता की निन्दा करके न गर्दा करके-अन्य लोगों के समक्ष दाता के के दोष बताकर भिक्षा नहीं लेनी चाहिए या हीलना, निन्दना एवं गर्हा-तीनों को एक साथ करके भी - भिक्षा ग्रहण नहीं करनी चाहिए। इसी तरह साधु को भय दिखलाकर, डाँटकर या धमकी देकर और थप्पड़ -मुक्का मारकर भी भिक्षा नहीं ग्रहण करनी चाहिए या तीनों एक साथ करके भी भिक्षा की गवेषणा नहीं करनी चाहिए। ऋद्धि, रस और साता का गौरव करके भी भिक्षा प्राप्त नहीं करनी चाहिए, न अपनी दरिद्रता दिखाकर, या मायाचार करके, न भिखारी की भाँति दीनता दिखाकर भिक्षा की ,
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श्रु.२, प्रथम अध्ययन : अहिंसा संबर
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Sh.2, First Chapter: Non-Violence Samvar
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