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विषय
२. अहिंसा की महिमा
२६१
३. अहिंसा के विशुद्ध दृष्टा और आराधक २६३
४. आहार की निर्दोष विधि
५. जिन प्रवचन का उद्देश्य और फल
पृष्ठ सं.
द्वितीय अध्ययन - सत्य १. सत्य की महिमा
२. दोषयुक्त सत्य का त्याग
३. बोलने योग्य सत्य वचन 4. सत्य वचन बोलने का सुफल
६. अहिंसा महाव्रत की पाँच भावनाएँअ) प्रथम भावना : ईर्यासमिति
ब) द्वितीय भावना : मनःसमिति
स) तृतीय भावना वचनसमिति
:
द) चतुर्थ भावना : आहारैषणासमिति २८६
य) पाँचवी भावना : आदान-निक्षेपणसमिति
२८३
Jain Education International
२८३
२८५
२८५
२८१
२९५-३१९
२९५
२९९
३०१
३०७
5. सत्य महाव्रत की पाँच भावनाएँ
अ) प्रथम भावना : अनुवीचिभाषण ३०८
ब) दूसरी भावना : अक्रोध
३०९
Subject
2. Glory of Ahimsa
3. True Practitioners of
Non-Violence
263
4. Faultless Method of Taking Food 274
5. Purpose of Word of Omniscient
and its Result
6. Five Sentiment of Major Vow of Ahimsa
C) Third Sentiment:
Equanimity in Speech
A) First Sentiment: Iriya Samiti 283 B) Second Sentiment :
Equanimity of Mind
D) Fourth Sentiment:
Page No.
E) Fifth Sentiment:
261
Discrimination in Keeping
and Picking up Things
Improper Word
B) Second Sentiment: Not to be Angry
283
Equanimity in Seeking Food 286
For Private & Personal Use Only
285
285
Second Chapter-Truth
1. The Glory of Truth
2. Avoidance of Faulty Truth
3. Words Worthy to be Uttered
4. Good Result of Major Vow of Truth
307
5. Five Sentiments of Major Vow of TruthA) First Sentiments :
289
295-319
295
299
301
308
(२७)
फ़फ़फ़फ़फ़फ़
309
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