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practitioner towards others. In a nutshell these synonyms indicate that 45 to save a living being adversely affected by troubles from that sad state is also ahimsa. While not engaging oneself in activities causing harm to others, to practice discernment in conduct is also a part of non-violence. To have compassion for all living beings in the would is also ahimsa. The synonyms keerti, (honour), kanti (brightness), rati (affection), choksha (extremely pure), pavitra (chaste), shuchi (purity), poota and others indicate its sanctity. Synonyms nanda, bhadra, kalyan, mangal, pramoda indicate what are the consequences of practicing non-violence. They indicate that the nature of its practitioner becomes beneficial and meritorious.
Thus the above synonymous of ahimsa vividly depict its different forms, the noble thought-activities generating in the person by its practice and the consequences airing out of it. The ultimate result of practice of non-violence is attainment of salvation or liberation that provides unlimited peace. अहिंसा की महिमा GLORY OF ASHIMSA
१०८. एसा सा भगवई अहिंसा जा सा भीयाण विव सरणं,
पक्खीणं विव गमणं, तिसियाणं विव सलिलं, खुहियाणं विव असणं, समुद्दमझे व पोयवहणं, चउप्पयाणं व आसमपयं, दुहट्ठियाणं व ओसहिबलं, अडवीमज्झे व सत्थगमणं, एत्तो विसिट्ठतरिया अहिंसा जा सा पुढवी-जल-अगणि-मारुय-वणस्सइ-बीय-हरिय-जलयर-थलयर-खहयर-तस-थावरसव्वभूय-खेमकरी।
१०८. यह अहिंसा भगवती (अद्भुत महिमा वाली) है, (संसार के समस्त) भयभीत प्राणियों के लिए शरणदाता है। पक्षियों के लिए आकाश में गमन करने-उड़ने के समान (स्वतंत्र अवकाश देने वाली) है। यह अहिंसा प्यास से पीड़ित प्राणियों के लिए जल के समान (शान्तिप्रदायिका) है। भूखों के लिए भोजन के समान (तृप्ति व पुष्टि देने वाली) है। समुद्र के मध्य में डूबते हुए जीवों के लिए जहाज समान (तारने वाली) है। चतुष्पद-पशुओं के लिए आश्रम पद (पशुशाला के समान सुरक्षित स्थान) के समान है। दुःखों से पीड़ित-रोगी जनों के लिए औषध-बल के समान (आरोग्य प्रदात्री) है। भयानक जंगल में सार्थ-संघ के साथ गमन करने के समान (सुरक्षा देने वाली) है।
(क्या भगवती अहिंसा वास्तव में जल, अन्न, औषध, यात्रा में सार्थ (समूह) आदि के समान ही है ? नहीं।) भगवती अहिंसा इनसे भी अत्यन्त विशिष्ट और श्रेष्ठ है, जो पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक, वनस्पतिकायिक, बीज, हरितकाय, जलचर, स्थलचर, खेचर, त्रस और स्थावर सभी प्राणियों का क्षेम-कुशल-मंगल कल्याण करने वाली है।
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श्रु.२, प्रथम अध्ययन : अहिंसा संवर
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Sh.2, First Chapter : Non Violence Samvar
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