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नागानामा माग नागमनानागागागागागाग नामनामनामाग
.. इस प्रकार सामान्य रूप से सभी बलभद्रों और नारायणों से संबंध रखने वाले प्रस्तुत वर्णन में वर्तमान अवसर्पिणी काल में हुए नवम बलभद्र (बलराम) और नवम नारायण (श्री कृष्ण) का उल्लेख किया गया है। ऐसा : क्यों? इस प्रश्न का समाधान करते हुए टीकाकार श्री अभयदेवसूरि ने लिखा है कि – यद्यपि इस अवसर्पिणी काल में नौ बलभद्र और नौ नारायण हुए हैं किन्तु उनमें बलराम और श्रीकृष्ण लोक में अत्यन्त विख्यात हैं। उनकी इस ख्याति के कारण ही उनके नामों आदि का विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।
तीर्थंकरों के पश्चात् दूसरा स्थान चक्रवर्तियों का है। ये बारह होते हैं। इनकी विभूति आदि का विस्तृत वर्णन । पूर्व सूत्र में किया गया है। बलदेव-वासुदेव के समकालीन प्रति वासुदेव भी नौ होते हैं, जो वासुदेव के द्वारा
मारे जाते हैं। बलराम और श्रीकृष्ण नामक जो अन्तिम बलभद्र और नारायण हुए हैं, उनसे सम्बद्ध वर्णन का । स्पष्टीकरण इस प्रकार है। ये दोनों प्रशस्त पुरुष यादवकुल के भूषण थे। इस कुल में दश दशार थे, जिनके नाम हैं- (1) समुद्रविजय 4 (2) अक्षोभ्य (3) स्तिमित (4) सागर (5) हिमवान् (6) अचल (7) धरण (8) पूरण (9) अभिचन्द्र और A (10) वसुदेव।
इस परिवार में ५६ करोड़ यादव थे। उनमें साढ़े तीन करोड़ प्रद्युम्न आदि कुमार थे। बलराम की माता का । नाम रोहिणी और श्रीकृष्ण की माता का नाम देवकी था। इनके शस्त्रों तथा वस्त्रों के वर्ण आदि का वर्णन मूल पाठ में ही प्रायः आ चुका है।
मुष्टिक नामक मल्ल का हनन बलदेव ने और चाणूर मल्ल का वध श्रीकृष्ण ने किया था। रिष्ट नामक सांड को मारना, कालिय नाग को नाथना, यमलार्जुन का हनन करना, महाशकुनी एवं पूतना नामक विद्याधरियों का
अन्त करना, कंस-वध और जरासन्ध के मान का मर्दन करना आदि घटनाओं का उल्लेख बलराम-श्रीकृष्ण से । सम्बन्धित है, इसका तात्पर्य इतना ही है कि ऐसों ऐसों के दमन करने का सामर्थ्य बलदेवों और वासुदेवों में होता है। ऐसे असाधारण बल, प्रताप और पराक्रम के स्वामी भी भोगोपभोगों से तृप्त नहीं हो पाते हैं।
86. When even Baldevs and Vasudevs, by engaging in sensual engagements again and again died in a state of discontentment, what to say of the common people. They were the most important among men.
They were very powerful and courageous. They could lift very heavy Fibows like Sarang. They were as courageous as the sea. They were fi invincible by enemies. They were prominent amongst archers.
They were the best amongst men in task performance like a healthy F bull is in carrying the load. In this span of descending (Avasarpini) y fi period Balaram the ninth Baldev and Krishna, the ninth Vasudev were
both brothers. They had a very large family. Among them Vasudev and Samudra Vijay were two of the ten respectable Dasharhas. Pradyumn. Prativ. Shamb. Aulapukam, Saaran. Gai. Sumukh and Dumukh were among the 35 million Yadava youth as the members of their family.
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रामनाराम
श्रु.१, चतुर्थ अध्ययन : अब्रह्म आश्रव
( 197 ) Sh.1, Fourth Chapter: Non-Celibacy Aasrava
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